हरियाणा में मुख्यमंत्री पद को लेकर भारतीय जनता पार्टी (Haryana Narbir: ) में चल रही अंदरुनी कलह के बीच पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह ने कहा कि वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में नहीं हैं और अपनी कोशिशें तथा समय गुरुग्राम में हालात सुधारने में लगाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2019 से मार्च 2024 तक भाजपा-जजपा गठबंधन के कारण गुरुग्राम की बुनियादी सुविधाएं चरमरा गई हैं। जजपा और भाजपा गठबंधन के दौरान सिंह सरकार में नहीं थे। तीन बार के कैबिनेट मंत्री रह चुके सिंह गुरुग्राम के बादशाहपुर से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं, जो मतदाताओं की संख्या के हिसाब से राज्य में सबसे बड़ा निर्वाचन क्षेत्र है।
Haryana Narbir: कहा, मानता हूं कि गुरुग्राम में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है
1987 में वरिष्ठ नेता राव इंदरजीत सिंह को हराकर 26 साल की उम्र में राज्य के सबसे युवा गृह मंत्री बने नरबीर सिंह परिवहन, खाद्य एवं आपूर्ति और सहकारिता मंत्री भी रह चुके हैं। वह मनोहर लाल खट्टर सरकार के पहले कार्यकाल में पीडब्ल्यूडी और वन मंत्री भी थे। सिंह ने कहा, “मैं मानता हूं कि गुरुग्राम में अभी भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। यहां जलभराव, खराब सड़कें, यातायात का संकट और कचरे की समस्या है। पिछले पांच साल में शहर न केवल ठप हो गया है बल्कि विकास की गति भी उल्टी हो गई है।”
Haryana Narbir: गठबंधन पर क्या बोले सिंह
भाजपा और दुष्यंत चौटाला की अगुवाई वाली जननायक जनता पार्टी (जजपा) का गठबंधन अक्टूबर 2019 में हुआ था, जो मार्च 2024 में टूट गया। सिंह ने कहा, “मैं इसके लिए गठबंधन को जिम्मेदार ठहराता हूं। 2014 से 2019 तक हमारे पास बहुमत की सरकार थी और कोई भी विकास की गारंटी दे सकता था, लेकिन 2019 के बाद से चीजें खराब हो गईं। जजपा के साथ गठबंधन इसके लिए जिम्मेदार है। नागरिक बुनियादी ढांचा विभाग जजपा के पास था और उन्होंने कुछ नहीं किया। लोग निराश हैं कि सत्ता के केंद्र में भाजपा होने के बावजूद कोई काम नहीं हुआ।”
सीएम की दौड़ में मैं नहीं
भाजपा ने 2019 के चुनाव में सिंह को टिकट देने से इनकार कर दिया था। उन्होंने पिछले महीने घोषणा की थी कि अगर पार्टी ने इस बार उन्हें टिकट नहीं दिया तो वह कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर इस सीट से चुनाव लड़ेंगे। भाजपा के विधानसभा चुनाव जीतने पर पार्टी के वरिष्ठ नेता राव इंदरजीत सिंह और अनिल विज के मुख्यमंत्री पद पर दावा जताने के बारे में पूछे जाने पर नरबीर सिंह ने कहा, “केंद्रीय नेतृत्व ने पहले ही घोषणा कर दी है कि नायब सैनी मुख्यमंत्री पद का चेहरा हैं। मुझे नहीं लगता कि वे अब इसे बदलेंगे। मैं इस दौड़ में नहीं हूं।” उन्होंने कहा, “कई साल पहले मैंने मुख्यमंत्री बनने की कोशिश की थी, लेकिन अब मुझे कोई गलतफहमी नहीं है। मैं गुरुग्राम पर ध्यान केंद्रित करना चाहता हूं और मंत्री पद की दौड़ में हूं।” गुरुग्राम को सिंगापुर बनाने के भाजपा के पहले वादों के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा, “मैंने कभी नहीं कहा कि मैं गुरुग्राम को सिंगापुर बना दूंगा। गुरुग्राम को गुरुग्राम ही रहने दें, लेकिन उस हालत में नहीं, जिसमें वह आज है।”
यातायात से निपटने के लिए 20 सिग्नल मुक्त अंडरपास की जरूरत
इस 5.2 लाख से अधिक मतदाताओं वाले निर्वाचन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर जलभराव, यातायात जाम, टूटी-फूटी सड़कें और कचरे के ढेर प्रमुख समस्याएं हैं। सिंह ने कहा, “मैंने जलभराव से बचने के लिए निचले इलाकों में प्रभावी जल निकासी प्रणाली और हर जोन में कचरा एकत्र करने तथा उसके शोधन के लिए एक योजना बनाई है। एक बार निर्वाचित होने पर, मैं सरकार के समक्ष ये प्रस्ताव रखूंगा और उम्मीद है कि अगले दो साल में हम इन दो समस्याओं से निपट पाएंगे।”उन्होंने कहा, “गुरुग्राम में यातायात से निपटने के लिए कम से कम 20 सिग्नल मुक्त अंडरपास की जरूरत है और दिल्ली तक आवाजाही के लिए धौला कुआं से मानेसर तक एक एलीवेटेड सड़क ही समाधान है।” सिंह का मुकाबला इस निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस के वर्धन यादव से है। बादशाहपुर के निवर्तमान विधायक राकेश दौलताबाद की पत्नी कुमुदनी दौलताबाद भी चुनावी मैदान में हैं। हरियाणा में 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए मतदान पांच अक्टूबर को होगा और मतगणना आठ अक्टूबर को होगी।