Tuesday, December 24, 2024
14.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeHARYANAFaridabadसूरजकुंड मेले में खूब लोकप्रिय हो रही है हरियाणवी पगड़ी

सूरजकुंड मेले में खूब लोकप्रिय हो रही है हरियाणवी पगड़ी

Google News
Google News

- Advertisement -

सूरजमकुंड। 37वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड क्राफ्ट मेले में विरासत सांस्कृतिक प्रदर्शनी में हरियाणवी पगड़ी के प्रति मेला में आने वाले पर्यटकों का पूरा फोकस बना हुआ है। पगड़ी बंधवाने के साथ-साथ हुक्का के साथ सेल्फी लेने के लिए दिनभर पर्यटकों में होड़ सी लगी रहती है। हरियाणा का आपणा घर में विरासत की ओर से जो सांस्कृतिक प्रदर्शनी लगाई गई है, वहां पर पगड़ी बंधाओ, फोटो खिंचाओ के माध्यम से बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हरियाणा की पगड़ी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है।

पगड़ी

इस विषय में विस्तार से जानकारी देते हुए निदेशक विरासत डॉ. महासिंह पूनिया ने बताया कि हरियाणा की पगड़ी को अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड क्राफ्ट मेले में खूब लोकप्रियता हासिल हो रही है। पर्यटक पगड़ी बांधकर हुक्के के साथ सेल्फी, हरियाणवी झरोखें से सेल्फी, हरियाणवी दरवाजों के साथ सेल्फी, आपणा घर के दरवाजों के साथ सेल्फी लेकर सोशल मीडिया के माध्यम से हरियाणा की लोक सांस्कृतिक विरासत खूब लोकप्रियता हासिल कर रही है। डा. पूनिया ने बताया कि मेला के दूसरे दिन भारत के उपराष्ट्रपति माननीय जगदीप धनखड़ की धर्मपत्नी सुदेश धनखड़ भी मेला अवलोकन के दौरान हरियाणवी पगड़ी बंधवा चुकी हैं।

surjkhund

यह भी पढ़े: मुख्य चौपाल बनी आकर्षण का केंद्र, जानें सूरजकुंड मेले में आज क्या रहा खास..

परंपरा का इतिहास हजारों वर्ष पुराना

उन्होंने कहा कि लोकजीवन में पगड़ी की विशेष महत्ता है। पगड़ी की परंपरा का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। पगड़ी जहां एक ओर लोक सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़ी हुई है, वहीं पर सामाजिक सरोकारों से भी इसका गहरा नाता है। हरियाणा के खादर, बांगर, बागड़, अहीरवाल, बृज, मेवात, कौरवी क्षेत्र समेत सभी क्षेत्रों में पगड़ी की विविधता देखने को मिलती है। प्राचीन काल में सिर को सुरक्षित ढंग से रखने के लिए पगड़ी का प्रयोग किया जाता रहा है। पगड़ी को सिर पर धारण किया जाता है। इसलिए इस परिधान को सभी परिधानों में सर्वोच्च स्थान मिला है। पगड़ी को लोकजीवन में पग, पाग, पग्गड़, पगड़ी, पगमंडासा, साफा, पेचा, फेंटा, खण्डवा, खण्डका, आदि नामों से भी जाना जाता है, जबकि साहित्य में पगड़ी को रूमालियो, परणा, शीशकाय, जालक, मुरैठा, मुकुट, कनटोपा, मदील, मोलिया और चिंदी आदि नामों से जाना जाता है।

पगड़ी का मूल

वास्तव में पगड़ी का मूल ध्येय शरीर के ऊपरी भाग (सिर) को सर्दी, गर्मी, धूप, लू, वर्षा आदि विपदाओं से सुरक्षित रखना रहा है, किंतु धीरे-धीरे इसे सामाजिक मान्यता के माध्यम से मान और सम्मान के प्रतीक के साथ जोड़ दिया गया, क्योंकि पगड़ी सिरोधार्य है। यदि पगड़ी के अतीत के इतिहास में झांक कर देखें, तो अनादिकाल से ही पगड़ी को धारण करने की परम्परा रही है। फिलहाल मेला परिसर में आपणा घर में सजी विरासत प्रदर्शनी हर पर्यटक को हरियाणवी संस्कृति का संदेश दे रही है।

खबरों के लिए जुड़े रहे : https://deshrojana.com/

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

delhi weather:दिल्ली में हल्की बारिश,तापमान8.6 डिग्री सेल्सियस

दिल्लीवाले सोमवार(delhi weather:) सुबह हल्की बारिश और धुंध के साथ उठे, और न्यूनतम तापमान 8.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो मौसमी औसत से...

देश के अप्रतिम नेता अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत का जश्न

डॉ. सत्यवान सौरभभारत में हर साल 25 दिसम्बर को देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के उपलक्ष्य में सुशासन दिवस मनाया...

Recent Comments