आपने अक्सर देखा होगा कि गर्मी एते ही कई लोग ऐसे होते है जिनको दुसरो के मुकाबले ज्यादा गर्मी लगती है। वैसे तो गर्मी के मौसम में लोगो को कूलर या एसी से रहत मिल जाती है तो वही कुछ लोग या तो ठंडा पानी पी कर,शरबत या नारियल पानी पीकर राहत ले लेते है। लेकिन कोई कोई व्यक्ति ऐसा होता जिसको एसी में भी गर्मी लगती है और वो कम से कम तापमान में बैठना चाहता है। जहा एक और कुछ लोग एसी की कूलिंग कम करते है तो वही वो व्यक्ति एसी की कूलिंग बढ़ाता है। लेकिन क्या आपको पता है ऐसा क्यों होता है ? क्या सभी लोगो से ज्यादा गर्मी लगाना नार्मल है।
सामान्यतौर पर शरीर का तापमान 98.6 डिग्री फेरनाइट्स होता है उम्र, काम और जगह के हिसाब से तापमान में थोड़ा सा अंतर आता है। शरीर में ऐसी प्रणाली होती है जिसके जरिए शरीर खुद ब खुद तापमान को नियंत्रित भी करता है। तापमान को हमारी रक्त संचार प्रणाली रेगुलेट करती है। ज्यादा गर्मी लगने पर व्यक्ति की नसें फैल जाती हैंनसें फैल जाती है। जिसकी वजह से खून के सर्कुलेशन में तेजी आ जाती है। जब व्यक्ति को थोड़ा ठंडा लगने लगता है तो समझिए की उसके खून की नसें सिकुड़ गई है।
ज्यादा गर्मी लगने के बहुत से कारण हो सकते है। जैसे अगर कोई व्यक्ति तनाव में है तो उसका ऑटोमेटिकली नर्वस सिस्टम एक्टिव और रक्त तेजी से बहने लगेगा। जिसके कारण उसको जायदा गर्मी लगेगी। अगर गर्मी के दौरान आप ज्यादा मसाले और ऑयली खाते है या कैफीन और अल्कोहल का ज्यादा सेवन करते है। तो दिल की धड़कन तेज होती है और गर्मी लगना पसीने आना शुरू हो जाता है। अगर व्यक्ति के शरीर में फैट की मात्रा ज्यादा है तो उसको भी गर्मी ज्यादा लगती है। थायरायड, परिफेरल आर्टरी डिजीज और एनीमिया से पीड़ित लोगों को भी ज्यादा गर्मी लग सकती है