राजेश दास
नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही अथवा भ्रष्टाचार से शहर में पानी के अवैध कनेक्शनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हाल ही में एनआइटी के विधायक नीरज शर्मा ने देर रात पानी के अवैध कनेक्शन जोड़ते हुए कुछ लोगों को पकड़ा था। शनिवार की रात को नीरज शर्मा ने चंडीगढ़ से लौटते समय देखा कि कुछ लोग पाइप लाइन काट कर कनेक्शन जोड़ रहे थे। जबकि निगम अधिकारी आंखें मूंदे बैठे रहते हैं। शहर में करीब साढ़े छह लाख यूनिट (इमारतें) हैं। लेकिन इनमें से मात्र दो लाख इमारतों में ही पानी और सीवर के वैध कनेक्शन हैं। शेष साढ़े चार लाख इमारतों में कनेक्शन मुफ्त में चल रहे हैं। लेकिन निगम द्वारा अवैध कनेक्शनों को वैध करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। निगम द्वारा समय समय पर शिविर तो लगाए जाते हैं। लेकिन इन शिविरों में सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। शहर में अवैध रूप से बनाए जा रहे चारसे छह मंजिला फ्लैटों में भी भारी संख्या में अवैध कनेक्शन जोड़े जा रहे हैं। जिससे राजस्व के नुकसान के साथ ही बिल भरने वाले लोगों को पानी के लिए तरसना पड़ता है।
कनेक्शन के लिए नहीं है नीति
नियमों के मुताबिक मकान का नक्शा पास होने पर पानी का कनेक्शन और निर्माण पूरा होने पर कम्पलीशन सर्टीफिकेट मिलने पर सीवर का कनेक्शन देते हैं। लेकिन निगम की कालोनियों में दोनों कनेक्शन देने के लिए किसी नियम का पालन नहीं जाता है। जिससे शहर में लाखों पानी और सीवर के अवैध कनेक्शन चल रहे हैं। गत वर्ष एफएमडीए का करोड़ों रुपये का पानी काबिल भरने का दबाव आने पर अवैध कनेक्शनों को काटने का अभियान चलाने की घोषणा की थी। जिसके बाद लोग अपने अवैध कनेक्शनों को वैध करवाने के लिए दर दर की ठोकरें खाते नजर आए थे। जिसका फायदा निगम के कुछ कर्मचारियों ने उठाया था। कर्मचारी अपने फायदे के लिए सरकार के राजस्व को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसी स्थिति में नगर निगम को कनेक्शन वैध करने के लिए जगह जगह शिविर लगाने चाहिए।
हर इलाके में अवैध कनेक्शन
निगम कर्मचारी निजी स्वार्थ के लिए लोगों को अवैध कनेक्शन करने की छूट दे देते हैं। निजी प्लम्बरों को कहीं भी पाइप लाइन काट कर अवैध कनेक्शन करते देखा जा सकता है। लोगों द्वारा पूछताछ करने पर प्लम्बर निगम के अधिकारियों से ही बात करवा देते हैं। एनआईटी में तेजी के साथ चार से छह मंजिला फ्लैट नियमों को ताक रख कर बनाए जा रहे हैं। इन मकानों में पानी के अवैध कनेक्शन दिये जा रहे हैं। इसी तरह शहर की वैध कालोनियों में वैध कनेक्शन से कई गुणा ज्यादा पानी के अवैध कनेक्शन चल रहे हैं। जिले भर में कृषि भूमि अथवा अन्य जमीनों पर कालोनियां काटी जा रही है। जहां कर्मचारियों की शह पर पानी के अवैध कनेक्शन सरेआम जोड़े जा रहे हैं। इतनी भारी संख्या में कनेक्शनों को वैध करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
अवैध बस्तियों का नहीं है रिकॉर्ड
पानी काबिल भर रहे दो लाख इमारतों का इसलिए पता चला, क्योंकि वे प्रोपर्टी टैक्स जमा करवाते है। अन्यथ यह आंकड़ा भी निगम के पास नहीं होता। सरकारी जमीनों पर दर्जनों घनी आबादी वाली अवैध बस्तियां बसी हैं। जहां लाखों की संख्या में मौजूद मकानों में सीवर और पानी के अवैध कनेक्शन हैं। हैरानी की बात यह है कि सरकारी जमीनों पर बसी बस्तियों में सीवर और पानी की लाइनें आखिर किसने डलवाई हैं। इसी तरह शहर में जगह जगह खेती बाड़ी की जमीनों पर प्लॉटिंग कर अवैध कालोनियां बसाई जा रही है। इन अवैध बस्तियों से नगर निगम को प्रोपर्टी टैक्स भी नहीं मिलता है। इनका निगम के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। जबकि यह लोग निगम की लाइनों से पानी लेकर मुफ्त में इस्तेमाल कर रहे हैं। इनके लिये नगर निगम ने अभी तक कोई नीति ही नहीं बनाई।
पानी चोरों का गिरोह सक्रिय
एनआइटी 86 विधानसभा क्षेत्र के विधायक नीरज शर्मा का कहना है कि उन्होंने रात दो बजे डबुआ पाली रोड पर पानी की मैनलाइन लीकेज कर कनेक्शन जोड़ने वालों को पकड़ा था। लाइन लीकेज से जहां पानी की किल्लत होती है, वहीं घरों में गंदा पानी आता है। शहर में पानी की लाइन लीकेज करने वाला गिरोह सक्रिय है। जिन्हें पकड़ना जरूरी है।