एक तरफ केंद्र और प्रदेश सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने के दावें कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ नवजात बच्चों का जीवन बचाने के लिए परिजनों को एक से दूसरे अस्पताल के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। ऐसा ही एक बच्चे के साथ हुआ। बीके अस्पताल से रेफर बच्चे को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल और एम्स में भी वैंटिलेटर की सुविधा नहीं मिली। जिससे परिजनों को बच्चों को वापस बीके अस्पताल लाकर दाखिल कराना पड़ा। मिथलेश नामक महिला ने गत एक जून को बच्चे को जन्म दिया था। वजन कम होने के कारण बच्चे को नर्सरी में दाखिल किया गया था। जहां उसकी रविवार को तबियत खराब होने लगी। जिस पर बच्चे को चिकित्सक ने न होने की वैंटीलेटर पर रखने की बात कहते हुए रेफर कर दिया।
जिस पर बच्चे के परिजन उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल लेकर गए। जहां उन्हें वैंटीलेटर न होने की बात कही गई। ऐसे में परेशान परिजन बच्चे को एम्स में लेकर पहुंचे। लेकिन वहां भी उन्हें वैंटीलेटर नहीं मिला।
पैसे न होने के कारण वह निजी अस्पताल में बच्चे को भर्ती न करवा पाए। जिस पर वह बच्चे को बीके अस्पताल में वापस लेकर आ गए। यहां चिकित्सक को अपनी व्यथा सुनाई कि वैंटीलेटर नहीं है। अब आप ही बच्चे को बचा सकते हैं।ऐसे में चिकित्सक ने कहा कि कहीं ओर ले जाए, तो परिजनों ने कहा कि वह गरीब है, बच्चे को यहीं भर्ती कर लें। इसमें हमें कोई एतराज नहीं है। क्योंकि जिदंगी जिस भगवान ने दी है, वहीं बचाऐंगा। वहीं दूसरी तरफ उन्होंने देश रोजाना की तरफ से सरकार से गुहार लगाई है कि वह इस अस्पताल में वैंटीलेटर की सुविधाएं शुरू करवायें। क्योंकि पर्याप्त चिकित्सक और सुविधाएं होगी तो लोगों को भटकना नहीं पड़ेगा।
एक वॉर्मर पर दो बच्चें:
बच्चों की नर्सरी में एक वॉर्मर पर दो-दो बच्चों को भर्ती किया गया है। यहा करीब 40 बच्चें भर्ती है। जबकि नर्सरी में केवल 31 ही वर्मर हैं। अगर नियम की बात करें तो एक वॉर्मर पर एक ही बच्चे को भर्ती किया जा सकता है। लेकिन यहां एक वॉर्मर पर दो-दो बच्चों को भर्ती किया गया है। ऐसा ही यहां अक्सर देखने को मिलता है। इस विषय में जब चिकित्सकों से बात की, तो उन्होंने बताया कि जगह की कमी के कारण हमें एक बिस्तर पर दो बच्चों को भर्ती करना पड़ रहा है। रेफर किए गए बच्चों के लिए सफदरजंग और एम्स में स्थान न होने के कारण वापस भेज दिया जाता है।