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Holi में त्वचा, आंख के साथ रखें गर्भवतियों का खास ख्याल

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Faridabad : रंगों का त्यौहार रंगीन रहे इसके लिए थोड़ी सी सावधानी रखना जरूरी है। जरा सी लापरवाही जीवन भर के लिए परेशानी का कारण बन सकती है। होली (Holi) के त्यौहार में पिचकारी, गुब्बारों, डाई तथा गुलाल में प्रयोग किए जाने वाले रंग आपकी आंखों, त्वचा एवं बालों के लिए बड़ा खतरा बन सकते है। लेकिन इसके साथ ही रंगों के इस त्यौहार पर गर्भवतियों का भी खास ख्याल रखना चाहिए। ऐसा चिकित्सकों का कहना है, आधुनिक युग की होली में प्रयोग किए जाने वाले सुखे गुलाल तथा गीले रंगों को प्राकृतिक उत्पादों से नही, बनते बल्कि उन्हें खतरनाक रासायनिक पदार्थो को सामिल करके तैयार किया जा रहा हैं, इनके इस्तेमाल से आंखों में इंफैक्शन तथा त्वचा में जलन के साथ साथ त्वचा रोग होने की पूरी सम्भावना होती है। ऐसे में यह रंग गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकते है।

होली में आंख का बचाव कैसे करें

होली (Holi) के त्यौहार में पिचकारी, गुब्बारे, डाई तथा गुलाल में प्रयोग जाने वाले रंग आंखों (eyes)और त्वचा (Skin) को हानि पहुंचा सकते है। इस बारे में बीके सिविल अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. शिखा ने कहा कि होली (Holi) खेलते समय सिंथेटिक कलर आंखों (eyes) में जाने के कारण आंखों (eyes) का रंग लाल अथवा अंधापन भी हो सकता है। इसलिए इनका प्रयोग नही करना चाहिए। अगर आंखों (eyes) में रंग चला भी जाए तो उन्हें रगड़ना नही चाहिए। कभी भी होली (Holi) खेलते समय कॉन्टैक्ट लैंस का इस्तेमाल नही करना चाहिए, क्योंकि इससे आंखों में इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। कभी भी रंगों से भरे गुबारों का प्रयोग न करें क्योंकि अगर यह सीधा आंखों (eyes) में लगा तो आजीवन अंधापन भी हो सकता है।

eye protection

उन्होंने कहा कि इससे बचाव के लिए हर्बल रंगों का इस्तेमाल ही करना चाहिए। जिससे आंखों (eyes) को नुकसान न हो। होली (Holi) खेलने से पहले आंखों (eyes) के आसपास नारियल का तेल लगाने से रंग जल्दी निकल जाता है। होली खेलते समय सनग्लास का इस्तेमाल करने से आंखों की सुरक्षा होती रहती है। अगर आंखों (eyes) में रंग चला जाए तो आंखों में ताजा पानी के छीटे मारने चाहिए और परेशानी बने रहने पर निकटवर्ती नेत्र (eyes) रोग के स्पेशलिस्ट को संपर्क करना चाहिए।

त्वचा स्किन मॉइस्चराइजर के इस्तेमाल करना

वहीं दूसरी तरफ होली (Holi) के रंगों के बारे में त्वचा (Skin) रोग विशेषज्ञ डॉ. दारा सिंह राठी ने बताया कि सिंथेटिक कलर की जगह आर्गेनिक कलर का इस्तेमाल स्किन की सुरक्षा के हित में होता है। होली खेलने से 20 मिनट पहले जलरोधी सन्सक्रीम अथवा नारियल तेल को शरीर व सिर में लगा लेना चाहिए। होली (Holi) खेलने से पहले होंठो का खास ख्याल रखना चाहिए। होंठ और नाखूनों व उनके आसपास वैसलीन का उपयोग उन्हें नुकसान नही पहुंचने देता है। होली (Holi) खेलते समय पूरी बाहं के कपडे पहनने चाहिए। होली (Holi) खेलने के बाद एक सौम्य साबुन से नहाकर एक अच्छे स्किन (Skin) मॉइस्चराइजर के इस्तेमाल करना चाहिए जिससे त्वचा रूखी न हो।

Skin protection

गर्भवती महिलाओं का कैसे रखें ख्याल

अस्पताल की वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ.अर्पणा ने बताया कि होली (Holi) खेलते समय गर्भवती महिलाओं (Pregnant women) को विशेष एतिहात बरतने की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि आजकल बाजार में आ रहे कॉपर, लैंड और मरकरी युक्त सिंथेटिक कलर गर्भवती महिलाओं (Pregnant women) के लिए और उनके बच्चे के लिए भी नुकसानदेह होते है। इसलिए प्राकृतिक रूप से तैयार रंगों का इस्तेमाल करना अच्छा माना जाता है साथ ही स्किन पर यदि नारियल तेल लगा लिया जाए तो स्किन सिंथेटिक रंगों को अवसोशित नही कर पाती और नुकसान को न्यूनतम किया जा सकता है।

 Pregnant women protection

गर्भवती महिलाओं (Pregnant women) को होली (Holi) खेलते हुए भीड़ एवं फिसलन भरी जगह से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसी जगह पर गिरने की सम्भावना बढ़ जाती है और जो गर्भवती महिला (Pregnant women) और उसके बच्चे (Child) दोनों के लिए घातक है। साथ ही त्याहारों के इस समय में गर्भवती महिलाओं (Pregnant women) को अधिक पकवान का सेवन न करके पोषक आहार को प्राथमिकता देनी चाहिए। इससे पेट से जुड़े विकारों से भी बचा जा सके और उनके पेट में पल रहे बच्चे को भी उचित पोषण मिल सके।

-कविता

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