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हरियाणा में पिछड़े वर्ग का चेहरा कैबिनेट मंत्री ‘रणबीर गंगवा’

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प्रियंका सौरभ

बरवाला में रणबीर गंगवा के नेतृत्व को कृषि सुधारों, ग्रामीण विकास और सार्वजनिक सेवाओं में सुधार के प्रति उनके समर्पण से देखा जा सकता है। इनके काम ने किसानों के समर्थन पर विशेष ध्यान देने के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन स्तर में काफी सुधार किया है। एक सामाजिक कार्यकर्ता और नेता के रूप में यह समुदाय की मदद करने और बरवाला में जीवन को बेहतर बनाने के लिए समर्पित हैं। ये अपने क्षेत्र के लोगों की मदद के लिए स्थानीय परियोजनाओं पर काम करते हैं। रणबीर सिंह गंगवा का जन्म 4 मार्च 1964 को हिसार जिले के गंगवा गाँव में हुआ। इनके पिता का नाम राजाराम और माता का नाम केसर देवी है। पत्नी अंगूरी देवी से इनकी शादी बहुत कम उम्र में हो गई थी। इनकी दो बेटे सुरेंद्र गंगवा और संजीव गंगवा हैं। 34 साल की राजनीतिक यात्रा में इन्होने कैबिनेट मंत्री के पद तक का ऐतिहासिक सफर तय किया है।
गंगवा ने राजनीति की शुरुआत अपने गाँव गंगवा से की थी, जहाँ उन्होंने पंच का चुनाव जीता था। इन्होंने बरवाला विधानसभा क्षेत्र में पहली बार भाजपा के ‘कमल’ को खिलाने का रिकॉर्ड भी अपने नाम किया है। गंगवा ने 1990 में 26 साल की उम्र में अपने गाँव में पंच का चुनाव लड़ा, जहाँ से उन्होंने राजनीतिक पारी शुरू की। 2024 में बीजेपी ने उन्हें नलवा की बजाय बरवाला विधानसभा से उम्मीदवार बनाया, जहाँ उन्होंने पहली बार पार्टी को जीत दिलाई। पिछले कुछ वर्षों में 60 वर्षीय रणबीर गंगवा हरियाणा भाजपा में पिछड़े वर्ग का एक प्रमुख चेहरा बनकर उभरे हैं। नायब सैनी मंत्रिमंडल में इनको सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग और सार्वजनिक निर्माण (भवन और सड़कें) विभाग दिया गया है।
रणबीर वर्ष 2000 में राजनीति सफर में शामिल हुए जब वह हिसार जिला परिषद के लिए चुने गए। 2005 में वे पुन: निर्वाचित हुए और इसके उपाध्यक्ष बने। चार साल बाद पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने इनको इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) के टिकट पर नलवा विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा। हालांकि, कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व मंत्री संपत सिंह चुनाव जीत गए। बाद में, गंगवा 2010 में आईएनएलडी के टिकट पर राज्यसभा के लिए चुने गए। 2014 में पार्टी ने इनको फिर से नलवा विधानसभा सीट से मैदान में उतारा। इन्होंने संपत सिंह और पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन को हराया। 2018 में इनेलो के विभाजन के बाद गंगवा 2019 के चुनावों से पहले भाजपा में शामिल हो गए। ये नलवा से चुने गए और बाद में विधानसभा में डिप्टी स्पीकर बने।
सार्वजनिक सेवाओं को बढ़ाने तथा किसानों, युवाओं और महिलाओं के कल्याण की वकालत करने के प्रति इनकी प्रतिबद्धता ने इनको समुदाय से सराहना और समर्थन दिलाया है। बरवाला में रणबीर गंगवा के नेतृत्व को कृषि सुधारों, ग्रामीण विकास और सार्वजनिक सेवाओं में सुधार के प्रति इनको समर्पण से पहचाना जाता है। इनके काम ने ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन स्तर में उल्लेखनीय सुधार किया है जिसमें किसानों को सहायता देने पर विशेष ध्यान दिया गया है। रणबीर का राजनीतिक जीवन वित्तीय मुद्दों के बारे में पारदर्शिता पर जोर देता है। इन्होंने 34 साल की राजनीतिक यात्रा में एक साफ-सुथरा रिकॉर्ड बनाए रखा है और उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं है। इनकी घोषित संपत्ति और देनदारिया राजनीतिक नेतृत्व में इनकी ईमानदारी को दर्शाती हैं। इनकी पारदर्शिता का स्तर मतदाताओं को यह विश्वास दिलाता है कि रणबीर गंगवा अपने वित्तीय लेन-देन का स्पष्ट विवरण देने के लिए समर्पित हैं, जो सार्वजनिक सेवा में एक आवश्यक गुण है। हरियाणा के वर्तमान कैबिनेट मंत्री गंगवा हरियाणा के विकास में अपने कुशल नेतृत्व के दम पर नए आयाम स्थापित करेंगे।
(यह लेखिका के निजी विचार हैं।)

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