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पीएम मोदी की हां-ना से भाजपा में नापा जाएगा राव का कद

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रेवाड़ी। हिंदी फिल्म gadar में एक dialouge था कि सियाशी लोगों की एक छींक भी अखबार की सुर्खियां बन जाती है। निश्चितरूप से इस dialouge में एक बड़ी सच्चाई छिपी है। सियाशी लोगों के एक बयान को विपक्षी दल मुद्दा बनाकर राजनीति को न जाने किस मोड़ तक पहुंचा देता है। आजकल ऐसा ही केंद्र्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के साथ हो रहा है। नूंह में निकाली गई बृज मंडल धार्मिक यात्रा में हथियार लेकर चलने संबंधी राव इंद्रजीतसिंह का जो कथित बयान आया है, उसने यहां राजनीतिक गलियारे में हलचल पैदा कर दी है।

उनके विरोधी जहां कह रहे है कि उनकी विचारधारा भाजपा से नहीं मिलती तो कुछ कह रहे हैं कि हिंदुओं का सम्मान करने वाली पार्टी में रहने वालों को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए। एक नेता ने तो यहां तक कह दिया कि राव अब भाजपा छोडक़र कांग्रेस में जाने की तैयारी में है। मतलब जितने मुंंह उतनी बातें, लेकिन यह चर्चा यह भी है कि पीएम मोदी की हां-ना उनके हर विरोधी का जवाब बनेगी। राव के निमंत्रण पर मोदी का यहां आना, अथवा नहीं आना भाजपा में उनका कद नापेगा।

राजनीति एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें आने वाले को हर कदम जहां फूंक-फूंक रखना पड़ता है, वहीं राजनीतिज्ञ को शब्दों का चयन अथवा बयानबाजी में भी बहुत अधिक ध्यान देना पड़ता है। वह बात अलग है कि जब कोई नेता कोई ऐसा बयान देता है, जिससे पार्टी की छवि पर फर्क पड़ता है, अथवा अन्य दलों को उससे एक मुद्दा मिल जाता है तो उस दल के नेता रास्ता निकालते हुए केवल इस शब्द का इस्तेमाल जरूर करते है , यह उक्त नेता का अपना निजि बयान हो सकता है, पार्टी से इसका कोई लेना-देना नहीं है, अर्थात बात भी कहलवा दी और अपने दल को सुरक्षित भी कर लिया। अब पिछले दिनों नूंह में दंगा हो गया है।

हालांकि विपक्षी नेता इसे आक्रमण का नाम दे रहे है। नूंह में इस आक्रमण अथवा दंगे में जान-माल की हानि भी हुई है। प्रशासन उपद्रवियों पर कार्यवाही भी कर रहा है। फिलहाल मेवात में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य भी हो रही है, लेकिन इसी बीच केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीतसिंह के यात्रा में शामिल लोगों के हथियार लेकर चलने वाले कथित बयान ने एक तरह से उनके विरोधियों के हाथों में बटेर दे दी है। यहां तक कि उनकी अपनी ही पार्टी के लोग उनके बयान की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए नसीहत दे रहे है।

इसके अलावा विपक्षी दल के नेताओं ने भी उन पर जमकर भड़ास निकाली है। एक समय में उनके आशीर्वाद से विधानसभा में पहुंचे एक पूर्व विधायक ने तो यहां तक कह दिया कि राव की विचारधारा भाजपा से नहीं मिलती और अब वे भाजपा छोडक़र कांग्रेस में जाने की तैयारी कर रहे है , इसीलिए उन्होंने धार्मिक यात्रा में शामिल हिंदुओं के खिलाफ ऐसा बयान दिया है। भाजपा को उन्हें अपनी पार्टी में ही नहीं रखना चाहिए। इससे पहले भी यह चर्चा यहां आम रही है कि भाजपा में राव को महत्व कम दिया जा रहा है, जबकि संगठन को यह मालूम है दक्षिणी हरियाणा की राजनीतिक की वह धुरी है। यहां की राजनीति उनके इर्द-गिर्द घूमती है। राज्य में किसी भी दल की सरकार बनें, उसमें राव का अहम रोल होता है।

बावजूद इसके उन्हें केबिनेट मंत्री का महत्वपूर्ण दर्जा नहीं दिया गया, जबकि राज्यसभा से आए भूपेंद्र यादव को केबिनेट में न केवल मंत्री बना दिया, बल्कि पता नहीं किस उद्देश्य को लेकर दक्षिणी हरियाणा के उनके दौरे भी कराए। विपक्ष अथवा उनके विरोधियों का कथन सही है अथवा गलत इसका फैसला संभवतया 23 सितंबर को जाएगा। 23 सितंबर को राव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यहां एम्स का शिलान्यास करने की बात कही है। अब देखना यह है कि पीएम मोदी समय देते हैं अथवा नहीं। चर्चा है कि मोदी की हां-ना से ही भाजपा में राव का कद नापा जा सकेगा।

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