फरीदाबाद। मोटापा जिसे पुराने समय में धन सम्पन्नता एवं बेहतर स्वास्थ्य के साथ जोड़कर अच्छा मानकर उस पर ध्यान नहीं दिया जाता था। जैसे जैसे वैज्ञानिक शोध से ज्ञात हुआ की मोटापा सम्पन्नता ना होकर अनेको बीमारियों जैसे शुगर, ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन, हृदय रोग एवं दीघार्काल में घुटनों की समस्या का मूल कारण है तब लोगों ने इस पर ध्यान देना आरम्भ किया और अपना खानपान और जीवन शैली सुधारने के प्रयास आरम्भ किये। उपरोक्त विचार पौष्टीक आहार एवं स्वास्थ सलाहकार सुकन्या धवन ने कहे, उन्होंने बच्चों में बढ़ रही मोटापे कि समस्या को लेकर विस्तृत चर्चा करते हुए ये बाते कही।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार
मोटापे को बताया खतरा: सुकन्या ने “विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मोटापे को शरीर में अत्यधिक फैट यां चर्बी होने के रूप में परिभाषित करते हुए शरीर के लिये एक गंभीर खतरा बताया है।” सुकन्या नें चिंता जाहिर करते हुए बताया कि इस सब में सबसे दुर्भाग्य पूर्ण बात ये है कि अब ये समस्या बच्चों में बहुत ज्यादा देखने में आ रही है। जिसका मुख्य कारण उनका अनियमित, अनावश्यक एवं कुपोषित खानपान है और साथ ही आज के समय में खेलकूद में शारीरिक श्रम की कमी भी होना है। चूंकि इन सब बातों में बच्चों से ज्यादा उनके माता पिता की भूमिका होती है अत: उन्हें इस सब का विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। किताबों और उनके स्कूल बैग के वजन की तरफ ध्यान रखते रखते वे अक्सर बच्चों के बढ़ते वजन की ओर ध्यान नहीं देते है और दूसरी तरफ बच्चे अपनी स्टडी के दबाब के चलते ना शारीरिक श्रम वाले खेलकूद पर ध्यान दे पाते है और ना ही स्वयं के खानपान पर ध्यान दे पाते है।
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आजकल का बदलता खानपान
खान पान पर दे ध्यान: सुकन्या ने कहा कि आजकल का बदलता खानपान और रहनसहन बच्चों में मोटापा बढ़ा रहा है, इसलिए माता पिता अपने बच्चों के बेहतर एवं पोषक खान पान पर भी उसी प्रकार ध्यान दे जिस प्रकार उनकी पढ़ाई में बेहतरी के लिए देते है। यदि खानपान और खराब जीवन शैली के कारण बच्चों में मोटापा आता है तो उनके शैक्षणीक प्रदर्शन पर बुरा प्रभाव तो डालेगा ही साथ ही उनके स्वास्थ्य पर भी असर करेगा। यदि बच्चों को शुरू से ही उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करके प्रोत्साहित किया जाए तो ये उनकी आदत में आ जायेगा और वे एक बेहतर और लम्बा जीवन जी पाएंगे। स्वस्थ खानपान और जीवन शैली कोई सब्जेक्ट नहीं है जिसमे कुछ समय पढ़कर अच्छे नंबर लाने है बल्कि इसमें आवश्यकता है एक विशेषज्ञता वाली निरंतरता की।
भ्रामक विज्ञापनों से दर्शाया
ले उचित सलाह: सुकन्या ने बताया कि स्वास्थ्य को लेकर भ्रामक विज्ञापनों से दर्शाया जाता है की आपके लिये फलां फलां चीज बेहतर है किन्तु वास्तविकता एकदम उलट होती है। ऐसे संशय वाली स्थिति में सही प्रोफेशनल से उचित सलाह लेनी अत्यंत आवश्यक है ताकि आपके बच्चे की शारीरिक आवश्यकता के हिसाब से प्रोग्राम निर्धारित किया जा सके और ऐसी वस्तुओं के सेवन से बचा जा सके जो लाभ के स्थान पर हानि कर रहे होते है। उन्होंने कहा कि मोटापे को कम करने के लिए विशेषज्ञ से सलाह लें।
बच्चों को मोटापे की समस्या
बच्चों को करवाये शारीरिक श्रम: सुकन्या ने कहा कि बच्चों को मोटापे की समस्या से बचाने के लिये सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है बच्चों को शारीरिक श्रम करवाना चाहिए चाहे वह एक्सरसाइज हो अथवा खेलकूद के माध्यम से हो, लेकिन दिन भर में 45 से 60 मिनट की अवधि अनिवार्य है। साथ ही बच्चों को उनकी पसंदीदा चीजें घर में बनाकर खिलाएं। जिसमें प्रोटीन एवं अन्य पोषक तत्वों का संतुलन होना चाहिए। बिना संतुलित आहार के पोषण पूरा नहीं मिल पाता है। बच्चों को खान पान सम्बन्धी वस्तुओं के भ्रामक विज्ञापन प्रचार से प्रभावित ना होने दें। जितना हो सके बच्चों में जल्दी सोने और जल्दी जागने की आदत डालें जोकि शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ का मूल मन्त्र है। सुकन्या कहती है कि “बच्चे किसी भी राष्ट्र का भविष्य होते है देश का विकास एवं प्रगति बच्चों के स्वास्थ पर पूर्णत:या निर्भर करती है।” और उनका मानना है की अच्छे और बेहतर स्वास्थ के लिये कोई शॉर्टकट नहीं होता है। यदि आपके मन में बच्चों के पौष्टीक आहार सम्बन्धी कोई प्रश्न है तो आप सुकन्या धवन को sukanyadhawan03@gmail. com पर ईमेल कर सकते है।
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