सूचना का अधिकार अधिनियम में फरीदाबाद के एचएसवीपी के सेक्टर नौ में बने वर्षो पुराने मकान संबंधी जानकारी न देने और पिछले पचास साल से बने मकान को खाली प्लॉट बतलाने पर राज्य सूचना ओएजी हरियाणा ने दिये जिम्मेदार अधिकारियों की जांच करवा जिम्मेदारी तय करने के आदेश। साथ ही मकान की फाइल गुम हो जाने पर प्रशासक एचसवीपी को संबंधित दोषी कर्मचारियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करवाने और साथ ही मकान के सभी रिकॉर्ड को पुनर्गठित करने के आदेश दिये हैं।
सेक्टर नौ निवासी एवं सामाजिक कार्यकर्ता अजय बहल के अनुसार उनके पिता ने वर्ष 1974 में हूडा से प्लॉट खरीदकर अपना मकान बनाया था। आज लगभग पचास वर्ष बीत जाने पर एचएसवीपी द्वारा खाली प्लॉट पर कोई निर्माण न करने के लिए उनपर लगभग 18 लाख रुपये का बकाया निकाला है।
इस बारे अनेक आवेदन करने पर भी जब कोई समाधान नहीं निकला तो अजय बहल ने संपदा अधिकारी एचसवीपी फरीदाबाद कार्यालय से इस बारे जानकारी मांगी। एक साल से भी अधिक समय तक कोई भी जानकारी न देने और इस बारे मकान का रिकॉर्ड उपलब्ध न होने का बहाना बना संबंधित द्वारा जानकारी देने में आनाकानी की जाती रही।
मामला राज्य सूचना आयोग हरियाणा में सूचना आयुक्त ज्योति अरोड़ा के पास पहुंचा। जिन्होंने मामले की सुनवाई कर इस बारे सख्त निर्देश दिए। आदेश की अनुपालन के लिए एक माह का समय दिया है।
आयोग ने इस बारे संबंधित अधिकारियों की जांच कर उनके विरुद्ध पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाने के साथ साथ मकान से संबंधित सभी रिकॉर्ड को पुनर्गठित करने के भी निर्देश दिये हैं। मामले की अगली सुनवाई 21 अगस्त को होनी निश्चित हुई है। अजय बहल के अनुसार उन्होंने एचसवीपी फरीदाबाद में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अन्तर्गत अनेक आवेदन लगाये हैं और बहुत सी खामियों को उजागर किया है। इसलिए विभाग द्वारा द्वेष की भावना से उनके मकान की फाइल जान बूझ कर गम कर दी गई है। उन्हें और उनके परिवार को प्रताड़ित किया जा रहा है।