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यूनिवर्सल अस्पताल ने मरीज को दिया नया जीवन

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देश रोजाना, फरीदाबाद।

ईएसआई के मरीज खेमसिंह का यूनिवर्सल अस्पताल ने सफल ऑपरेशन करके उसे नई जान दी। खेमसिंह को ईएसआई से यूनिवर्सल अस्पताल भेजा गया। खेमसिंह करन ऑटो फरीदाबाद में काम करता है और आगरा का रहने वाला है। मरीज की दोनों किडनी खराब हैं, जिसकी वजह से मरीज को पिछले चार सालों से सप्ताह में तीन बार डायलिसिस कराना पड़ रहा था। डायलिसिस कराने के लिए मरीज ने अपने दोनों हाथों में एवीफिस्टुला का ऑपरेशन कराया, जो खराब हो गया। ऑपरेशन खराब होने के बाद मरीज ने अपने बाएं हाथ में कर्तिन नली लगवाई जिसे एवी ग्राफ्ट कहा जाता है औ रएवी ग्राफ्ट के माध्यम से मरीज का डायलिसिस किया जा रहा था।

मरीज को अचानक मुंह के बाएं तरफ सूजन आ गई, जो बढकर छाती के बाएं तरफ तक आ गई। मरीज का बाएं साइड का हिस्सा सूज गया और दाएं साइड का हिस्सा नॉर्मल था। यूनिवर्सल अस्पताल में डॉ. शैलेस जैन ने मरीज की जांच कराई और उसका सिटी स्कैन कराया जिससे पता चला कि मरीज की बाएं साइड की रक्त वाहिनी 100 प्रतिशत बंद थी। जिसमें आगे जाने का रास्ता नहीं था। यह एक अलग किस्म का मामला था। इस तरह की अवस्था में मरीज की छाती काटकर मरीज का बाइपास करना पड़ता है। इसमें मरीज की छाती में 20 सेंमी का कट लगाना पड़ता है।

चीफ कार्डियोलोजिस्ट डॉ. शैलेस जैन ने अपनी टीम, डॉ. रहमान कार्डियोलोजिस्ट, डॉ. अरविंद गोयल कार्डियोलोजिस्ट, डॉ. राजेश गोयल नेफरोलोजिस्ट, डॉ. अशोक सिंघल फिजिशियन के साथ विचार-विमर्श करके यह सुनिश्चित किया कि मरीज का एंटी ग्रेव (आगे के रास्ते से) तथा रेटरो ग्रेव (पीछे के रास्ते से) तार डालकर ब्लूनिंग की कोशिश की जाए। इसमें काफी खतरा था, जिसके बारे में मरीज को विस्तार से समझाया गया। अब मरीज की जांघ से तथा बाएं हाथ से तार डाला गया। जहां तार मिल रहे थे, वहां छोटे बैलून से पहले उस रक्त वाहिनी को फुलाया गया। ब्लूनिंग करने से रास्ता नही होता तो रक्त वाहिनी फटने का डर रहता है। बैलून का साइज जैसे-तैसे बढ़ता गया, रास्ता खुलता गया। रक्त वाहिनी के खुलते ही 2 घंटे के अंदर मरीज के बाएं हाथ की, छाती के अंदर जितनी भी नलियां फूली हुई थी सब सामान्य हो गई। ऑपरेशन में कुल 4 घंटे लगे, जोकि पूरी तरह सफल रहा। अस्पताल की मेडिकल डायरेक्टर डॉ. रिति अग्रवाल ने इस सफल ऑपरेशन के लिए सम्पूर्ण टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि डायलिसिस के मरीज के लिए एवी ग्राफ्ट और एवीफिस्टुला उसकी लाइफलाइन होती है, क्योंकि ऑपरेशन उसी के हिसाब से किया जाता है।

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