नगर निगम और विकास कार्य करवाने वाली अन्य एजेंसियों की लापरवाही के कारण शहर की सड़के हादसों का कारण बन रही है। शहर की सड़कों पर बने गड्ढों के कारण अक्सर दोपहिया वाहन चालक दुर्घटना काशि कार होकर घायल हो रहे हैं। एजेंसियों द्वारा कई सड़कों को आए दिन पाइप लाइनें डालने के लिए खोदा जाता है। लेकिन काम पूरा होने के बाद ठेकेदारों द्वारा खोदी गई सड़कों की मरम्मत नहीं करवाई जाती। इस तरह की लापरवाही शहर में कहीं भी आसानी से देखी जा सकती है। लेकिन संबंधित विभागों के अधिकारियों के पास इस ओर ध्यान देने की फुर्सत नहीं है। हालांकि पुलिस आयुक्त विकास अरोड़ा ने पद भार सम्भालते ही सड़कों की खामियां दूर करने के लिए संबंधित विभागों को पत्र लिखा था। साथ ही उन्होंने खामियों के लिए जिम्मेदार संबंधित विभागों के अधिकारियों पर कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी थी। हादसे के बाद दबाव पड़ने पर पुलिस मामला तो दर्ज कर लेती है। लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति होती है।
ठेकेदार और विभागों की लापरवाही
नगर निगम और विकास कार्य करवानी वाली एजेंसियों द्वारा शहर में आए दिन पाइप लाइन डालने और अन्य कार्य करने के लिए ठीक ठाक सड़कों को खोदा जाता है। नियमों के मुताबिक निर्माण कार्य पूरा होने के बाद सड़कों के खोदे गए हिस्से की मरम्मत करवाने की जिम्मेदारी ठेकेदार की होती है। टेंडर में इस बात उल्लेख भी होता है। इस मरम्मत की रकम भी टेंडर की रकम में शामिल होती है। लेकिन शहर में ठेकेदारों द्वारा पिछले कुछ सालों के दौरान पाइप लाइन डालने या अन्य कामों के लिए दर्जनों की संख्या में सड़के खोदकर क्षतिग्रस्त की गई हैं। निर्माण के बाद ठेकेदारों द्वारा गड्ढों में मिट्टी भरवा दी जाती है। लेकिन टूटी सड़क की मरम्मत नहीं करवाई जाती। ऐसे में मिट्टी बैठ जाने पर टूटी सड़क खतरनाक गड्ढे का रूप धारण कर हादसों को न्यौता देने लगती है।
जिम्मेदारों पर कार्रवाई कब होगी?
विकास कार्य कराने वाले विभागों के अधिकारियों और ठेकेदारों की लापरवाही से खोदी गई सड़क शहर में कई जगह खतरनाक रूप धारण कर चुकी है। मुल्ला होटल से प्याली फैक्ट्री चौक पर आनी वाली सड़क को कुछ साल पहले सीवर की लाइनों की मरम्मत करने के लिए खोदा गया था। डबुआ सब्जी मंडी के ठीक सामने दो वर्ग मीटर चौड़े हिस्सों की दो जगह सड़क गायब है। वहीं डबुआ सब्जी मंडी के गेट के सामने भी काफी बड़े हिस्से में सड़क खोदी गई थी। तीनों स्थानों पर आज तक सड़क नहीं बनाई गई। इसी तरह सारन थाने के सामने भी वर्षो पहले पाइप लाइन डालने के लिए सड़क खोदी गई थी। काम पूरा हुए लंबा समय गुजर जाने के बाद भी सड़क के टूटे हुए हिस्सों की मरम्मत नहीं करवाई गई। जिसके कारण रात को यहां हादसे होते रहते हैं।
हर सडक पर खामियां और गड्ढे
आर एम सी सडकों का निर्माण के बाद पांच साल रख रखाव की जिम्मेदारी ठेकेदार कंपनी की होती है। पिछले पांच सालों के दौरान शहर में बनी अनेक सड़के जगह जगह से टूट चुकी हैं। कई सडकों पर दरारें और लेबल सही न होने की खामियां देखी जा सकती है। इसके अलावा कई सडकों पर गहरे गड्ढे तक बने हुए हैं। जिससे साफ है कि निर्माण में घटिया सामाग्री का इस्तेमाल किया गया है। लेकिन रख रखाव की जिम्मेदारी होने के बावजूद न तो ठेके दारों द्वारा मरम्मत करवाई जा रही है और न ही संबंधित अधिकारियों द्वारा उन्हें इसके लिए बाध्य किया जा रहा है,जो अधिकारियों और ठेकेदारों की मिली भगत को उजागर कर रहा है। जबकि सडकों का निर्माण पांच एजेंसियों द्वारा किया जाता है। गड्ढे भरने के पैसे नहीं होने के बावजूद ठीक सडकों को उखाडकर बना रहे हैं।
जिम्मेदारों पर हो कार्रवाई
समाजसेवी रविंद्र चावला का कहना है कि शहर में जमीनी स्तर पर कोई विकास कार्य नजर नहीं आ रहा है। जिससे स्पष्ट है कि नगर निगम अथवा अन्य एजेंसियों द्वारा दिखावे के विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। जिसका खामियाजा शहर की आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।सड़कों की खामियों के कारण होने वाले हादसों में जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।