हौंसले बुलंद हो तो कुछ भी किया जा सकता है, ऐसा ही पीएम मोदी के आत्म निर्भर भारत अभियान शुरू होने पर देखने को मिल रहा है। अब महिलाएं केवल घरों में चूल्हा चौका करने तक ही सीमित नहीं है। महिलाएं पुरूषों की बराबरी कर रही हैं। जिले में महिलाएं Auto तक चलाकर अपने परिवार का गुजारा चला रही हैं। कोई कम पढ़ी लिखी होने के कारण तो कोई पिता के इलाज को तो कोई पति की मौत के कारण Auto चला है। देश रोजाना की स्पेशल रिपोर्ट में जानियें कुछ महिलाओं के Auto चालक बनने की कहानी।
बच्चों के लिए चला रही Auto:
देवकी ने बताया कि वह एनआईटी इलाके में Auto चलाकर अपने परिवार का पेट पालती है। महिलाएं और बच्चियां खुश होकर उनके Auto में सफर करती है। देवकी ने बताया कि जहां पुरूषों के Auto में महिलाएं आगे बैठना पसंद नहीं करती है। वहीं दूसरी तरफ उनके Auto में आगे बैठने के लिए महिलाएं खुशी से तैयार हो जाती है। देवकी ने बताया कि Auto में बच्चियां और महिलाएं स्वयं को सुरक्षित महसूस करती हैं। वहीं महिलाओं और बच्चियों ने बताया कि चालक देवकी के Auto पर पीछे लिखा संदेश उन्हें अपनी तरफ आकर्षित करता है। देवकी का व्यवहार भी काफी खुश मिजाज है। उनके Auto पर खाटू श्याम का दिवाना क्रेजीमैन लिखा है। जोकि उन्हें काफी पसंद आता है कि महिला के Auto पर क्रेजीमैन लिखा है।
पिता बीमार के कारण :
बल्लभगढ़ से पलवल तक पार्वती नामक युवती Auto चलाकर अपने परिवार का गुजारा कर रही है। पार्वती के पिता Auto चलाते थे। लेकिन अब बीमारी के कारण वे Auto नहीं चला पा रहे हैं। ऐसे में रोज की कमाई से घर चलता था। जिस कारण पार्वती ने अपने पिता के Auto को चलाकर अपना घर चलाने का निर्णय लिया। वह बल्लभगढ़ और पलवल के बीच सुबह आठ से रात नौ बजे तक Auto चला रही है। उन्होंने बताया कि कम्पनी में काम करने से यह ज्यादा अच्छा काम लगा।
पति की मौत:
आईएमटी इलाके में बल्लभगढ़ निवासी Auto चालक महिला ने बताया कि उसके दो बच्चे हैं और उसके पति की मौत हो चुकी है। पति Auto चालक था। जिस कारण वह अब पति के Auto को चलाकर अपने बच्चों का पालन पोषण कर रही है। उन्होंने बताया कि वह न तो फोन रखती है और न ही किसी तरह के सोशल मीडिया में आती है। ऐसे में वह केवल अपने बच्चों को पालने के लक्ष्य का लेकर Auto चला रही है। दिनभर Auto चलाकर वह बच्चों को अच्छा इंसान बनाने का प्रयास कर रही है।
–कविता