मणिपुर। बीते कई दिनों से मणिपुर में आरक्षण को लेकर हिंसक झड़प जारी है। इसी बीच शनिवार को नागरिकों की सुरक्षा के कारण सुरक्षाबलों के द्वारा हमलावरों को ज़िंदा छोड़ना पड़ा और मौके से सिर्फ ज़ब्त हथियारों के साथ वापस लौटना पड़ा। जिसकी जानकारी देते हुए रविवार को भारतीय सेना के एक अधिकारी ने बताया कि केवाईकेएल (कांगलेई यावोल कन्ना लुप) जो एक मैतेई उग्रवादी समूह है। पहले भी कई हमलों में इसका नाम सामने आ चूका है। सूचना मिली थी कि इथम गांव में कुछ उग्रवादी छिपे हुए हैं। जिसको लेकर शनिवार को इथम गांव में पूरे दिन गतिरोध जारी रहा। केवाईकेएल के लगभग एक दर्जन आतंकी गांव में छिपे हुए थे, जिसमें स्वयंभू लेफ्टिनेंट कर्नल मोइरांगथेम तंबा उर्फ उत्तम भी शामिल था।
जानकारी के अनुसार सुरक्षाबलों ने कार्यवाही करते हुए शनिवार को उत्तम समेत लगभग 12 केवाईकेएल आतंकियों को हथियारों और गोला-बारूदों के साथ पकड़ा था। जिसके बाद गांव की महिलाओं के नेतृत्व में लगभग 1200 से 1500 लोग आतंकियों की सुरक्षा के लिए ढाल बन गए। सुरक्षाबलों के द्वारा भीड़ से अपील करने के बाद भी उसका कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं निकला। भीड़ पर कार्यवाही करने से कई मासूम लोगों को भी नुक्सान पहुंच सकता था। इसलिए सेना वहां से सिर्फ ज़ब्त किए हथियारों को लेकर वापस लौट गई और आतंकियों को गांव के लोगों को सौंप दिया।
मणिपुर हिंसा में अबतक 100 लोगों की गई जान
मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर बीते कई दिनों से हिंसक झड़प जारी है। पहली झड़प दोनों समुदायों के बीच 3 मई को हुई थी। जिसके बाद से ही राज्य के अलग अलग इलाकों में लगातार हिंसाएं जारी हैं। इस जाती हिंसा में अबतक लगभग 100 लोगों की जान जा चुकी है। मणिपुर की आबादी में मैतेई समुदाय के लगभग 53 लोग हैं जो कि इंफाल घाटी में रहते हैं। जबकि आदिवासी-नागा और कुकी समुदाय की आबादी 40 प्रतिशत है जो कि पहाड़ी इलाकों में रहते हैं।
एनआईए करेगी बॉम्ब ब्लास्ट की जांच
शनिवार को मणिपुर पुलिस ने बताया कि एनआईए को बिषणुपुर जिले के क्वकटा गांव में हुए बॉम्ब ब्लास्ट की जांच की ज़िम्मेदारी सौंप दी गई है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार एक कार में आरोपियों ने बॉम्ब छिपा रखा था जो कि एक पुल पर खड़ी हुई थी। जिस ब्लास्ट के कारण पुल का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। साथ ही तीन युवक घायल हो गए थे। जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया था।