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ओडिशा में बीजेपी की रणनीति—–

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2024 का रण जीतने के लिए सभी पार्टियों ने कमर कस ली है। बात ओड़िशा की राजनीति की करें तो मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और ओड़िशा की राजनीति एक दूसरे के पर्याय माने जाते है। बीजेपी के लिए इस राज्य में बीजद से ज्यादा बड़ी चुनौती नवीन पटनायक बने हुए हैं क्योंकि नवीन पटनायक की ओडिशा में जो लोकप्रियता है उसे काटना फिलहाल किसी भी पार्टी के हाथ में नहीं है और ऐसे में बीजेपी अब नवीन पटनायक के बजाय उनकी टीम और बीजद को निशाना बनाने की रणनीति पर काम करने में लगी हुई है। ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होने हैं इसलिए सभी पार्टियों पर दोनों ही चुनावों का दबाव है। राज्य में कांग्रेस की स्थिति कमजोर है ऐसे में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल का मुकाबला बीजेपी से ही होना है। बीजेपी ने भी नवीन पटनायक की मजबूत स्थिति को देखते हुए उन्‍हें छोड़कर पार्टी पर प्रहार की रणनीति अपनाई है और उनके निशाने पर राज्य के दूसरे मंत्री सांसद और नौकरशाही है। क्‍योंकि बीजेपी ये भी जानती है कि जब भी जरूरत हुई है तो संसद में मौके बे मौके बीजद का समर्थन तो मिलता ही रहा है। इस बात का भी बीजेपी को ध्यान रखना है। पिछले चुनाव की बात करें लोकसभा में और विधानसभा दोनों में ही बीजद को बीजेपी और कांग्रेस से कहीं ज्यादा सीटें मिली इससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य में 2000 से सत्ता पर काबिज नवीन पटनायक को फिलहाल बड़ी चुनौती मिलती नहीं दिख रही है। बीजेपी ने राज्य में कई प्रयोग किए हैं हालांकि उसमें सफल नहीं हो पाई है ऐसे में देखना होगा कि बीजेपी की रणनीति लोकसभा चुनाव पर ज्यादा केंद्रित रहती है या विधानसभा चुनाव पर कोशिश तो यही रहेगी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के साथ बीजेपी अपनी ताकत को और ज्यादा बढ़ा सके साथ ही नवीन पटनायक बीजेपी से भी अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश करेगी पार्टी की कोशिश यही है कि राज्य में आधी से ज्यादा सीटें जीती जाए और राज्य में अपनी जीत को साधने के लिए जिम्मेदारी दी गई है ओडिशा के रहने वाले केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को इसके अलावा उनके साथी है आदिवासी नेता जिओल और आम और युवा नेता संबित पात्रा को। पार्टी की रणनीति को धार देने की राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल के हाथों में कमान दी हुई है। गौरतलब है कि पिछले 23 सालों से नवीन पटनायक का एक छत्र राज है। बीजू जनता दल ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। 2019 के आंकड़ों पर नजर डालें लोकसभा चुनाव में 21 सीटें बीजेपी 8, बीजद 12 और कांग्रेस 1 तो वहीं विधानसभा चुनाव की 147 सीटों पर बीजेपी 22, कॉन्ग्रेस 9,सीपीएम एक IND एक बीजू जनता दल 114 पर कायम रही थी।

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