Friday, February 7, 2025
21.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeIndiaDemchok: भारत-चीन के बीच डेमचोक और देपसांग में गश्त की शुरुआत, सैनिकों...

Demchok: भारत-चीन के बीच डेमचोक और देपसांग में गश्त की शुरुआत, सैनिकों की वापसी के बाद तनाव में कमी

Google News
Google News

- Advertisement -

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख के डेमचोक (Demchok) और देपसांग इलाकों में लंबे समय से चले आ रहे सैन्य गतिरोध में आखिरकार समाधान की राह दिखाई दे रही है। हाल ही में दोनों देशों की सेनाओं ने इन क्षेत्रों में हर हफ्ते एक समन्वित गश्त करने पर सहमति जताई है, जो क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में डेमचोक और देपसांग से सैनिकों की वापसी के बाद, नवंबर के पहले हफ्ते में दोनों देशों ने गश्त का पहला दौर पूरा कर लिया है।

कैसे हुई समन्वित Demchok में गश्त पर सहमति?

रक्षा सूत्रों के अनुसार, दोनों देशों के सैनिक अब डेमचोक (Demchok) और देपसांग में हर हफ्ते एक-एक गश्त करेंगे। इस व्यवस्था के तहत, प्रत्येक क्षेत्र में भारतीय सैनिकों की तरफ से एक गश्त और चीनी सैनिकों की तरफ से एक गश्त की जाएगी। यह फैसला कई दौर की राजनीतिक, कूटनीतिक और सैन्य स्तर की बातचीत के बाद लिया गया है। समझौते के अनुसार, दोनों देशों के सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ देपसांग और डेमचोक में नियमित अंतराल पर गश्त करेंगे और दोनों पक्ष इस दौरान जमीनी कमांडर स्तर की बातचीत भी जारी रखेंगे।

चार साल के सैन्य गतिरोध का अंत

यह महत्वपूर्ण समझौता ऐसे समय में हुआ है जब दोनों देशों के बीच चार साल से चला आ रहा सैन्य गतिरोध समाप्त हुआ है। अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में भारत और चीन ने चार साल पुराने गतिरोध को समाप्त करने के लिए पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और देपसांग में दो विवादित बिंदुओं से सैनिकों की वापसी पूरी कर ली। 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद से दोनों देशों के संबंधों में तनाव आ गया था, और यह घटना दशकों में दोनों देशों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष के रूप में सामने आई। गलवान घाटी की घटना के बाद भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण माहौल बना हुआ था, और दोनों पक्षों ने सीमा पर अपने सैन्य बलों को मजबूत कर दिया था।

सैनिकों की वापसी के लिए सत्यापन गश्त

सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया में दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की उपस्थिति और वापसी की पुष्टि के लिए सत्यापन गश्त भी की। यह प्रक्रिया इसलिए भी जरूरी थी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दोनों पक्ष अपने समझौतों का पालन कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की सत्यापन गश्त क्षेत्र में पारदर्शिता और विश्वास को बनाए रखने में मदद करती है। डेमचोक और देपसांग में नियमित गश्त के साथ-साथ जमीनी स्तर पर संवाद भी जारी रहेगा, जिससे आपसी समझ और शांति बनी रहेगी।

क्षेत्र में शांति और स्थिरता के प्रयास

यह नई पहल पूर्वी लद्दाख में तनाव को कम करने और स्थिरता स्थापित करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम मानी जा रही है। दोनों देशों की सेनाओं के बीच नियमित गश्त के साथ-साथ बातचीत जारी रहने से क्षेत्र में स्थायी शांति की संभावना बढ़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार के सामरिक कदम दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली में सहायक हो सकते हैं।

भारत और चीन के बीच यह समझौता और समन्वित गश्त की शुरुआत पूर्वी लद्दाख में शांति स्थापना की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास है। चार साल के लंबे गतिरोध के बाद यह कदम दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है। हालांकि, इस कदम से दोनों देशों के बीच आपसी तनाव में कमी आएगी, लेकिन इस बात पर नजर रखना जरूरी है कि यह स्थिरता कितने समय तक बनी रहती है।

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

Recent Comments