गौरतलब है कि की पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव शुरू हो गए हैं,जिसमें छत्तीसगढ़ की 20 सीटों पर पहले चरण के और मिजोरम की सभी 40 सीटों के लिए मतदान हो चुका है। अब छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण की वोटिंग के बाद मध्य प्रदेश,राजस्थान और तेलंगाना में मतदान होना है। सभी पांच राज्यों के चुनावी नतीजे तीन दिसंबर को आएंगे,तब तक वोटिंग वाली ईवीएम स्ट्रॉन्ग रूम में जमा रहेगी।
आप सोच रहे होंगे कि यह स्ट्रॉन्ग रूम क्या होता है, यहां ईवीएम को कैसे ले जाते हैं और सुरक्षा के क्या इंतजाम होते है तो इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते–
वोटिंग की प्रक्रिया पूरी होते ही ईवीएम को पोलिंग बूथ से स्ट्रॉन्ग रूम तक नहीं भेजा जाता है, ईवीएम को स्ट्रॉन्ग रूम भेजने से पहले उसे प्रीसाइडिंग ऑफीसर ईवीएम में मतों के रिकॉर्ड का टेस्ट करता है फिर सभी उम्मीदवारों के पोलिंग एजेंट को एक सत्यापित कॉपी दी जाती है इसके बाद ईवीएम को सील किया जाता है।
पोलिंग एजेंट साइन करते हैं साइन करने के बाद प्रत्याशी या उनके प्रतिनिधि मतदान केंद्र से स्ट्रॉन्ग रूम तक ईवीएम के साथ जाते हैं जब स्ट्रॉन्ग रूम में सभी ईवीएम आ जाती है तो उसे सील कर दिया जाता है।
स्ट्रॉन्ग रूम का मतलब वो कमरा जहां पोलिंग बूथ आई हुई ईवीएम रखी जाती है,जिसकी सुरक्षा चुनाव आयोग तीन स्तर पर करता है। स्ट्रॉन्ग रूम के अंदर की सुरक्षा केंद्रीय अर्धसैनिक बल केंद्रीय बल के जवान भी ईवीएम की सुरक्षा में रहते हैं सबसे बाहरी सुरक्षा का घेरा राज्य पुलिस वालों के पास होता है।
जब स्ट्रॉन्ग रूम एक बार सील हो गया तो उसे काउंटिंग के दिन सुबह खोला जाता है,विशेष परिस्थिति या इमरजेंसी में स्ट्रॉन्ग रूम खोलना जरूरी है तो यह तभी खुलेगा जब प्रत्याशी भी मौजूद रहेंगे बिना किसी मौजूदगी के उसे नहीं खोला जा सकता है।
चुनाव से पहले एवं जिला इलेक्ट्रॉलर ऑफिसर यानी DEO की निगरानी में गोदाम में रखी जाती है। गोदाम की सुरक्षा फोर्स की तैनाती में होती है, इसके अलावा सीसीटीवी से भी नजरें रखी जाती है चुनाव से पहले चुनाव आयोग के प्रमुख के आदेश के बिना ईवीएम बाहर नहीं लाई जा सकती है।