Opposition Meet : बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार के बुलावे पर देशभर में मौजूद बीजेपी विरोधी खेमे के सभी नेता आज पटना में जुटे हैं। हांलाकि जानकारी के अनुसार इस बैठक से कुछ बड़े नाम गायब भी हैं। दरअसल मुख्यमंत्री नितीश कुमार पिछले कुछ समय से देशभर में घूम रहे थे और इस दौरान उन्होंने अलग अलग राज्यों के नेताओं से भी मुलाकात की। इस मुलाकात के पीछे उनका केवल एक सिंगल प्वाइंट एजेंडा था 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रथ को रोकने के लिए विपक्ष को एकजुट करना। मुख्यमंत्री नितीश कुमार के इस मिशन का आज पटना में टेस्ट होने जा रहा है। नितीश कुमार के बुलावे पर आज पटना में सभी विपक्षी दलों की महाबैठक हो रही है। पटना में हो रही इस बैठक में 15 विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए हैं। इस बैठक में कॉमन मिनिमम प्रोग्राम, 450 सीटों पर साझा उम्मीदवार इसके साथ ही जांच एजेंसियों के दुरुपयोग और मणिपुर हिंसा को लेकर चर्चा होंगी।
कौन-कौन से नेता हुए शामिल
- जेडीयू पार्टी से नितीश कुमार
- आरजेडी पार्टी से तेजस्वी यादव
- कांग्रेस से राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे
- एनसीपी पार्टी से शरद पवार
- टीएमसी से ममता बनर्जी
- आम आदमी पार्टी से अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान
- डीएमके से एम.के. स्टालिन
- समाजवादी पार्टी से अखिलेश यादव
- शिवसेना (यूबीटी) से उद्धव ठाकरे
- पीडीपी से महबूबा मुफ्ती
- नेशनल कॉन्फ्रेंस से उमर अब्दुल्ला
- सीपीआई से डी. राजा
- सीपीआईएम से सीताराम येचुरी
- सीपीआईएमएल से दीपांकर भट्टाचार्य
- एआईडीयूएफ से बदरुद्दीन अजमल
ये चेहरे होंगे बैठक से नदारद
पटना में हो रही बैठक में कुछ चेहरे ऐसे भी हैं जो इस दौरान मौजूद नहीं रहेंगे। इनमें बीआरएस पार्टी के नेता और तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव, बीएसपी सुप्रीमो मायावती इसके साथ ही आरएलडी नेता जयंत चौधरी और एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन का नाम शामिल है।
एकजुटता की राह में अभी हैं कई तरह के रोड़े
मुख्यमंत्री नितीश कुमार इस बैठक के बहाने सभी विपक्षी दलों को एक साथ लाने की कोशिश में जुटे हुए हैं लेकिन यह इतना भी आसान नहीं है। सवाल यह है कि क्या विपक्षी दल अपने आपसी मतभेदों को भुला पाएंगे जबकि बैठक से पहले ही केंद्र के अध्यादेश को लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक दूसरे के खिलाफ ब्यानोंके तीर चलाते नज़र आ रहे हैं। एक तरफ आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस पर अध्यादेश को लेकर बीजेपी के साथ समझौते के आरोप लगाए हैं। तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस का कहना है कि विपक्ष की यह बैठक सौदेबाज़ी के लिए नहीं है। इतना ही नहीं, पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और टीएमसी पार्टी एक दूसरे के आमने सामने नज़र आ रही हैं इसके साथ ही पंचायत चुनाव में नामांकन को लेकर हिंसा के आरोप लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा टीएमसी और सीपीएम भी एक दूसरे पर हमलावर हैं और पंजाब में भी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस आमने-सामने हैं, तो वहीं केरल में लेफ्ट बनाम कांग्रेस है।
विपक्षी दलों के गठबंधन से उम्मीदें
अगर इन तमाम विरोधों के बाद भी विपक्षी दलों के एकसाथ आने से गठबंधन होता है तो इस गठबंधन से 2024 में नए समीकरण बन सकते हैं। 2024 में एक बार फिर यूपीए-3 वापसी की वापसी हो सकती है। लगभग 400 से 450 सीटों पर साझा उम्मीदवार संभव है। इसके अलावा विपक्ष का यह भी मानना है कि मिलकर लड़ें तो बीजेपी केवल 100 सीटों पर ही सिमट कर रह सकती है। लेकिन अगर यह गठबंधन नहीं हुआ 2024 का चुनाव आखिरी चुनाव साबित हो सकता है। शिवसेना (यूबीटी) ने इस बात की आशंका 23 जून के एक संपादकीय में जताई।
कांग्रेस को कहां साथी की ज़रूरत और कहां मजबूत?
कांग्रेस को फिलहाल जिन राज्यों में साथी की ज़रूरत है इनमें उत्तर प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, दिल्ली और जम्मू कश्मीर आदि राज्य शामिल हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, गुजरात, गोवा, कर्नाटक और केरल आदि में कांग्रेस मजबूत स्थिति में है।