दिल्ली हाईकोर्ट ने मुखर्जी नगर स्थित एक कोचिंग सेंटर में पिछले गुरुवार को लगी आग की घटना का शुक्रवार को खुद से संज्ञान लिया। कोर्ट ने दिल्ली सरकार, दिल्ली फायर सर्विस डिपार्टमेंट, दिल्ली पुलिस और एमसीडी को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है। कोर्ट ने फायर सर्विस डिपार्टमेंट को निर्देश दिया कि वो ऐसे सभी संस्थानों में आग से बचाव के इंतजामों (फायर सेफ्टी आॅडिट) और उनके फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट की जांच करें। न्यायालय ने आदेश कर दिया। यह आदेश जांच अधिकारियों के लिए लूट का अधिकार दे देगा। इस आदेश के बाद जांच अधिकारी जाएंगे, कोचिंग सेंटर में कमी निकालेंगे। नोटिस देंगे। अपना सुविधा शुल्क वसूलेंगे और कुछ दिनों बाद सब फाइलों में दबकर रह जाएगा। कुछ समय बाद फिर हादसा होगा, फिर जांच होंगी। फिर अधिकारियों को आपदा में अवसर मिलेंगे। फिर खेल होगा।
सब ऐसे ही चलता रहेगा, जैसे चल रहा है। इस भ्रष्ट हो चुकी सरकारी मशीनरी के सुधरने की उम्मीद नहीं लगती। कठोर अनुशासन लागू किये बिना ये सुधरने वाली नहीं हैं। जरूरत सरकारी तंत्र को सुधारने की है। जस्टिस जसमीत सिंह और जस्टिस विकास महाजन की वेकेशन बेंच ने आदेश में कहा कि हमने अखबारों में छपी घटना से जुड़ी खबर और ह्वॉट्सएप पर सर्कुलेट हो रहे मैसेज देखे। अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, मुखर्जी नगर में डीडीए कॉमर्शियल सेंटर की चार मंजिली बिल्डिंग में चल रहे एक कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले 500 बच्चे बाल-बाल बचे। हम दिल्ली सरकार, दिल्ली फायर सर्विस डिपार्टमेंट, एमसीडी और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करते हैं। फायर सर्विस डिपार्टमेंट को निर्देश देते हैं कि वो ऐसी सभी इमारतों का फायर सेफ्टी आॅडिट करें, ताकि यह तय किया जा सके कि उनमें पर्याप्त अग्नि सुरक्षा उपाय मौजूद हैं या नहीं।
इसी बीच दिल्ली सरकार के स्टैंडिंग काउंसिल (स्थायी अधिवक्ता) संतोष कुमार त्रिपाठी ने कोर्ट से कहा कि इन संस्थानों के पास फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट है या नहीं, इसकी जांच करना जरूरी है। लिहाजा, कोर्ट ने निर्देश दिया कि फायर सर्विस अथॉरिटी यह भी देखेगी कि इन संस्थानों के पास फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट है या नहीं। कोर्ट ने अथॉरिटी को अपने-अपने जवाब देने के लिए दो हफ्तों का वक्त दिया और कहा कि मामले को आगे के निर्देशों के लिए चीफ जस्टिस की कोर्ट में तीन जुलाई को सुनवाई के लिए लगाया जाए। दिल्ली के मुखर्जी नगर के कोचिंग सेंटर में 15 जून को आग लग गई।
छात्रों को कोचिंग सेंटर की खिड़की से निकलकर जान बचानी पड़ी। इस हादसे में 60 छात्र घायल भी हुए। आग लगने का कारण बताते हुए अधिकारियों ने कहा कि शुरुआती जांच में पता चला है कि बिल्डिंग में ग्राउंड फ्लोर पर लगे मीटर में आग लगी थी, जिसका धुआं पूरी बिल्डिंग में फैल गया। धुआं निकलते ही पूरी बिल्डिंग में अफरा-तफरी मच गई। इसके बाद छात्रों ने खिड़कियों से बिल्डिंग से बाहर आने की कोशिश की और उनमें से कुछ को चोटें आईं। इस हादसे में घायल 60 लोगों को इलाज के लिए तीन अस्पतालों में भर्ती कराया गया। घटना स्थल का जिला क्राइम टीम ने मुआयना किया और फोटोग्राफी भी की। इस घटना के समय बिल्डिंग में संचालित कोचिंग सेंटरों में 200-250 छात्र मौजूद थे।
दिल्ली फायर सर्विस के निदेशक अतुल गर्ग ने बताया कि आग लगने की सूचना दोपहर 12.27 मिनट पर मिली थी। इसके बाद 11 गाड़ियों को मौके पर भेजा गया और राहत व बचाव कार्य शुरू किया गया। दमकल विभाग ने इस घटना का एक वीडियो भी साझा किया था जिसमें लोगों को खिड़कियों के माध्यम से बाहर निकलते हुए देखा जा सकता है। इमारत से धुआं निकलते हुए भी देखा जा सकता है। खिड़की से निकले छात्र अपना बैग फेंकते और एक-दूसरे की मदद करते नजर आए। आग लगने की घटना के बाद इमारत के ग्राउंड फ्लोर पर बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए। दमकल विभाग के अधिकारियों ने कहा कि राहत व बचाव कार्य में जुटी दमकल की गाड़ियों ने आग पर काबू पा लिया है।
दरअस्ल मुखर्जी नगर हिंदी भाषी छात्रों का सिविल सेवा की तैयारी करने का बड़ा केंद्र बन गया है। यहां कई कोचिंग संस्थानों का घर है। सिविल सर्विसेज परीक्षा की तैयारी के लिए इसे मक्का कहा जाता है। हर वर्ष सिविल सर्विसेज की परीक्षा में सबसे ज्यादा अभ्यर्थी भी यहीं से चयनित होते हैं। एक जानकारी के अनुसार यूपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षा की तैयारी करने के लिए मुखर्जी नगर और आसपास के क्षेत्रों में प्रत्येक वर्ष करीब एक लाख छात्र तैयारियों के लिए पहुंचते है।
मुखर्जी नगर इलाका अपने आप में मिनी भारत है। दिल्ली यूनिवर्सिटी के जिन छात्रों को हॉस्टल नहीं मिलती है, वे भी यहीं रहकर पढ़ाई करते हैं। यहां हर वर्ष प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने के लिए उत्तर प्रदेश उत्तराखंड, बिहार, हरियाणा, कर्नाटक, उड़ीसा, पूर्वोत्तर राज्यों से भी छात्र पहुंचते हैं। मुखर्जी नगर में यूपीएससी की सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले महंगे से लेकर सस्ते कोचिंग भी मौजूद हैं। यही वजह है कि यहां आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से आने वाले बच्चे भी अपनी तैयारी आसानी से कर लेते हैं।
मुखर्जी नगर रिहायशी इमारतों में व्यावसायिक गतिविधियां चलाने का गढ़ बन चुका है। बीते एक दशक में यहां कोचिंग सेंटरों की बाढ़ आ गई है। ज्यादातर घरों में या तो कोचिंग सेंटर चल रहे हैं या फिर लाइब्रेरी या पीजी बनाकर संपत्ति मालिक चांदी काट रहे हैं। नगर निगम को शुल्क देने में अब भी कतराते हैं। इन संपत्तियों का व्यावसायिक उपयोग हो रहा है।
अशोक मधुप