खानपान की शुद्धता पर हमारे पूर्वजों ने हमेशा ध्यान दिया था। वे जो कुछ भी खाद्य पदार्थ के रूप में उपयोग करते थे, उसमें किसी प्रकार की मिलावट करना पसंद नहीं करते थे। यही वजह है कि वे तमाम परेशानियों और रोगों से बचे रहते थे। इन दिनों तो लगभग हर खाद्य पदार्थ में मिलावट की जा रही है। कोई भी सब्जी हो, खाद्यान्न हो या पेय पदार्थ सबमें मिलावट की जा रही है। खुले तौर पर बिकने वाली या फिर बड़ी-बड़ी कंपनियों द्वारा बेचे जाने वाले खाद्य पदार्थों में मिलावट की जा रही है। हरियाणा में मिलावटखोरी का आलम यह है कि पिछले आठ साल में खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने विभिन्न खाद्य पदार्थों के 23,653 सैंपल भरे थे। इनमें से 6140 सैंपल मिलावटी पाए गए।
मिलावटखोरी का यह आंकड़ा लगभग 26 प्रतिशत के आसपास बैठता है। दूध, दही, घी, शहद जैसी खाद्य वस्तुओं में मिलावटखोेरी के सबसे ज्यादा मामले पाए गए। कितने अफसोस की बात है कि दूध में आरारोट और यूरिया जैसे पदार्थों को मिलाकर बेचा जा रहा है। इस दूध का उपयोग करने वाले लोग कई तरह की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। इस दूध को पीने वाले छोटे बच्चों को हम बचपन से ही दूध के नाम पर बीमारी बांट रहे हैं। पूरे प्रदेश में रोज हजारों किलो मिलावटी दूध तैयार किया जाता है। इन दूध उत्पादों को तैयार करने के लिए मैलामाइन, सल्फूरिक एसिड, ग्लिसरीन, यूरिया, स्टॉर्च, कास्टिक सोडा जैसे रसायनों का उपयोग किया जाता है।
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शहद में चीनी मिलाकर धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। इसमें कई बड़ी नामी कंपनियां भी शामिल हैं। सब्जियों को तरोताजा रखने के लिए उन पर केमिकल का छिड़काव किया जाता है। केमिकल का छिड़काव करने से सब्जियां, फल आदि चमकीली और काफी दिनों तक तरोताजा दिखती हैं। इनका उपयोग करने पर कई तरह की गंभीर बीमारियां होने का खतरा रहता है। लतावर्गीय सब्जियों और फलों के पौधों की जड़ या तने में प्रसव के दौरान महिलाओं को लगाया जाने वाला आॅक्सीटोसिन इंजेक्शन लगाया जाता है।
जिससे इन सब्जियों और फलों की बढ़ोतरी बड़ी तेजी से होती है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि चिकित्सकों के मुताबिक, काफी उच्च तापमान पर इन सब्जियों को गर्म करने पर आक्सीटोसिन का रसायन टूटता नहीं है। ऐसी सब्जियों और फलों का उपयोग करने वाले बच्चों पर काफी विपरीत असर होता है। हरियाणा के खाद्य विभाग के संयुक्त सचिव डीके शर्मा ने हाईकोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए हाल के दिनों में खुलासा किया है कि कोरोना महामारी के बाद खाद्य पदार्थों में मिलावटखोरी के मामले बढ़े हैं। यदि मिलावटखोरी पर लगाम लगाना है, तो सबसे पहले फूड सेफ्टी एक्ट और आईपीसी में संशोधन करके कठोर दंड का प्रावधान करना होगा।
-संजय मग्गू
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