अफ्रीकी स्वाइन फीवर (African swine fever) ने भारत में एंट्री कर ली है। केरल के त्रिशूर जिले के एक गांव में ‘अफ्रीकी स्वाइन फीवर’ का मामला सामने आया है। स्थानीय अधिकारियों ने यह जानकारी दी है। ‘अफ्रीकी स्वाइन फीवर’ एक जानलेवा और संक्रामक रोग है। यह पालतू और जंगली सूअरों को अपनी चपेट में ले लेता है।
यह संक्रमित (African swine fever) सूअर के शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ के प्रत्यक्ष संपर्क में आने पर एक सूअर से दूसरे सूअर में आसानी से फैल सकता है। अधिकारी ने बताया कि त्रिशूर के जिलाधिकारी ने त्रिशूर जिले के मदक्कथारा पंचायत में एक निजी फार्म के 310 सूअरों को मारने का आदेश दिया है।
African swine fever: सूअरों को मारने आदेश
एक आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक, ‘वेलियंथारा के 14वें वार्ड में कुट्टालपुझा बाबू के स्वामित्व वाले सूअरों में इस बीमारी (African swine fever) की पुष्टि हुई है। जिलाधिकारी ने जिला पशुपालन अधिकारी को सूअरों को मारकर दफनाने का निर्देश दिया है। इसमें बताया गया कि चिकित्सकों, पशुधन निरीक्षकों और परिचारकों का एक दल सूअरों को मारने की प्रक्रिया में शामिल होगा। इसके बाद प्राथमिक संक्रमण रोधी उपाय भी किए जाएंगे।
अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस एक बच्चे की हुई थी मौत
इससे पहले केरल में मस्तिष्क के दुर्लभ संक्रमण ‘अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस‘ से ग्रस्त 14 वर्षीय बालक की यहां एक निजी अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई थी। यह संक्रमण दूषित जल में पाए जाने वाले जीवित अमीबा के कारण होता है। केरल के स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार को बताया कि मृदुल नामक बालक की मृत्यु बुधवार रात करीब 11:20 बजे हुई थी। दक्षिणी राज्य में मई से लेकर अब तक इस घातक संक्रमण (Rare Brain-Eating Amoeba) का यह तीसरा मामला है। पहली घटना 21 मई को मल्लपुरम में पांच वर्षीय बच्ची की मौत की थी। दूसरी घटना में 25 जून को कन्नूर में 13 वर्षीय बालिका की मृत्यु हो गई थी।
स्वास्थ्य विभाग ने क्या कहा था
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक बच्चा तलाब में नहाने गया था। चिकित्सा विशेषज्ञों ने बताया कि मुक्त रहने वाले गैर परजीवी अमीबा (Rare Brain-Eating Amoeba) के बैक्टीरिया जब दूषित पानी से नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाते हैं तो यह संक्रमण होता है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने लोगों को ‘अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस’ को लेकर सावधानी बरतने की सलाह दी है। इससे पहले यह बीमारी 2023 और 2017 में राज्य के तटीय अलप्पुझा जिले में देखी गई थी।