Saturday, July 27, 2024
30.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiअलेक्जेंडर फ्लेमिंग ने नहीं मानी हार

अलेक्जेंडर फ्लेमिंग ने नहीं मानी हार

Google News
Google News

- Advertisement -

स्काटिश वैज्ञानिक और सूक्ष्म विज्ञानी सर अलेक्जेंडर फ्लेमिंग ने एक दुर्घटना वश ही पेनिसिलिन की खोज की थी। यह पेनिसिलिन बाद में पूरी दुनिया में एक प्रभावी एंटीबायटिक के रूप में विख्यात हुई और बाद में उन्हें इसके लिए नोबल पुरस्कार से भी नवाजा गया। हालांकि सन 1945 में मिलने वाले नौबल पुरस्कार को वैज्ञानिक हावर्ड फ्लोरे और अर्न्स्ट बोरिस चेन के साथ साझा करना पड़ा क्योंकि उसी समय उन्होंने भी इसी एंटीबायटिक पर काम किया था। फ्लेमिंग ने सन 1922 में अपनी नाक के स्राव से एंजाइम लाइसोजाइम की खोज की थी।

सन 1944 को उनको उनकी वैज्ञानिक उपलब्धियों के लिए नाइट की उपाधि दी गई। सन 1928 की बात है। सूक्ष्म विज्ञानी अलेक्जेंडर फ्लेमिंग एक प्रयोग कर रहे थे। जिलेटिन की जिस डिश में वे प्रयोग कर रहे थे, तो उन्होंने देखा कि उस डिश में मौजूद सारे बैक्टीरिया मर गए हैं। उन्होंने परीक्षण किया तो पाया कि जिस पदार्थ ने सारे बैक्टीरिया को मारा है, उन्होंने उसे पेनिसिलिन नाम दिया। यह एक फफूंद की शक्ल में था। उन्होंने जब इस प्रयोग को आगे बढ़ाया, तो पाया कि यह तो सिर्फ बैक्टीरिया को ही मारता है।

यह भी पढ़ें : नौनिहालों का कैसा भविष्य चाहते हैं, हमें तय करना होगा

उन्होंने इसके बाद जानवरों पर भी प्रयोग करना शुरू किया। उन्होंने डिप्थीरिया, मेननजाइटिस और न्यूमोनिया से संक्रमित चूहों और खरगोशों को पेनिसिलिन दिया तो वे ठीक हो गए। इसके बाद उन्होंने अपने प्रयोग को आगे बढ़ाना चाहा, लेकिन तब तक उनके पास धन खर्च हो चुका था। उनके इस खोज के लिए कोई पूंजीनिवेश करने को तैयार नहीं हुआ। संयोग से एक पुलिसकर्मी पर यह प्रयोग किया, वह पहले तो ठीक हुआ, लेकिन दवा खत्म हो जाने से वह मर गया। यह बात पूरे अमेरिका में फैल गई तो लोगों ने पूंजी निवेश किया और पेनिसिलिन का उत्पादन शुरू हुआ।

Ashok Mishra

-अशोक मिश्र

लेटेस्ट खबरों के लिए क्लिक करें : https://deshrojana.com/

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

Recent Comments