यह खबर किसी भी संवेदनशील और पर्यावरण प्रेमी को विचलित कर सकती है कि अरावली की पहाड़ियों और वादियों में बड़े पैमाने पर कूड़ा-कचरा डाला जा रहा है। इस मामले को लेकर पर्यावरण प्रेमियों ने सोशल मीडिया पर उठाया, प्रदेश सरकार के लेकर वन विभाग और अन्य विभागों में शिकायत की, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इस मामले को लेकर कोई भी गंभीर नहीं है। जबकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से लेकर सुप्रीमकोर्ट तक अरावली की पहाड़ियों की लगातार बिगड़ती दशा पर अपनी चिंता जाहिर कर चुका है। अवैध वन कटान और खनन के चलते अरावली की पहाड़ियां धीरे-धीरे या तो खत्म या फिर नग्न होती जा रही हैं। यदि अरावली क्षेत्र में पेड़ पौधों की कटान और कूड़ा करकट डालने की प्रक्रिया नहीं रुकी, तो इसके दुष्परिणाम दिल्ली एनसीआर को भुगतना पड़ सकता है। पर्यावरणविदों और प्रकृति विज्ञानियों की बात मानें तो अरावली क्षेत्र दिल्ली एनसीअर में रहने वाले करोड़ों लोगों के लिए फेफड़े का काम करता है।
इन अरावली पहाड़ियों पर उगे पेड़ पौधे ही पूरे क्षेत्र के लिए आक्सीजन उपलब्ध कराते हैं जिसकी वजह से लोगों को साफ हवा मिल पाती है। यदि अरावली क्षेत्र को संरक्षित और वहां की हरियाली को नहीं बचाया गया तो दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की समस्या और भी ज्यादा विकराल हो सकती है। वैसे भी सर्दियों में पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में पैदा हुए प्रदूषण के चलते दिल्ली-एनसीआर वालों को पूरा क्षेत्र गैस चैंबर की तरह हो जाता है। अरावली पर्वतमाला भारत के पश्चिमी राज्य गुजरात से शुरू हो कर राजस्थान और हरियाणा में रायसीना पहाड़ियों से पहले तक करीब 700 किमी में फैला हुआ है। अरावली पहाड़ियों का ज्यादाकर हिस्सा करीब 550 किमी राजस्थान में है।
इसके बाद हरियाणा का नंबर आता है। अरावली पर्वत माला प्रदेश के गुरुग्राम, मेवात, फरीदाबाद, पलवट, रेवाड़ी, भिवंडी और महेंद्रगढ़ जैसे जिलों में है। सेंट्रल यूनिवर्सिटी आॅफ राजस्थान के शोधकर्ताओं ने पिछले साल जून में बताया था कि 1975 और 2019 के बीच अरावली पहाड़ियों का लगभग 8 प्रतिशत हिस्सा गायब हो गया है।
यदि अरावली क्षेत्र में शहरीकरण और खनन इसी गति से जारी रहा, तो वर्ष 2059 तक अरावली पहाड़ियों का 22 प्रतिशत हिस्सा गायब हो जाएगा। इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 1975 और 2019 के बीच उपग्रह चित्रों और भूमि उपयोग मानचित्रों का अध्ययन किया था। इस मामले में सरकार की लापरवाही पूरे प्रदेश के लिए हानिकारक साबित हो सकती है। सुप्रीमकोर्ट भी कई बार आदेश दे चुका है कि अरावली क्षेत्र में किसी भी तरह का निर्माण, खनन या कूड़ा-करकट डालने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि अरावली क्षेत्र को मिटने से बचाया जा सके।
-संजय मग्गू