भारतीय रेलवे भविष्य(BIHAR RAILWAY:) में ट्रेनों को सौर ऊर्जा से संचालित करने की योजना पर काम कर रहा है, और इसकी शुरुआत बिहार से की जाएगी। रेलवे खाली पड़ी जमीनों पर सोलर पैनल लगाने की योजना बना रहा है, जिससे उत्पन्न होने वाली बिजली सीधे ग्रिड में जाएगी और ट्रेनों को ऊर्जा प्रदान करेगी। इस योजना के सफल होने पर रेलवे को बिजली खरीदने पर होने वाला करोड़ों रुपये का वार्षिक खर्च बचाने में मदद मिलेगी, साथ ही रेलवे बिजली उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर भी हो जाएगा।
पूर्व रेलवे (BIHAR RAILWAY:)ने बिहार के मुंगेर जिले के जमालपुर में सौर ऊर्जा उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र बनाने की योजना बनाई है। यहां खाली जमीनों पर सोलर पैनल लगाए जाएंगे, जिनका संचालन और रखरखाव रेल इंजन कारखाना जमालपुर द्वारा किया जाएगा। पीपीपी मोड के तहत 3.7 मेगावाट और कैपेक्स मोड के तहत 260 किलोवाट सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जाएगा। ऊर्जा बचत के लिए एलईडी लाइटिंग और अन्य ऊर्जा दक्ष उपकरणों का उपयोग किया गया है, जिससे 30% ऊर्जा खपत कम की गई है। पहले से ही 500 किलोवाट का एक सोलर प्लांट स्थापित किया जा चुका है।
भारतीय रेलवे की इस पहल से हर साल वातावरण में 35 मिलियन टन कार्बन डायऑक्साइड का उत्सर्जन रोकने में मदद मिलेगी। बिहार के मुंगेर जिले के जमालपुर क्षेत्र में रेलवे ट्रैक के किनारे खाली जमीनों का उपयोग सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए किया जाएगा। रेलवे एनर्जी मैनेजमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड ने इसके लिए सर्वेक्षण किया है, जिसमें पश्चिम बंगाल के मालदा टाउन से लेकर बिहार के लक्खीसराय जिले के किऊल जंक्शन तक सोलर प्लांट लगाने की योजना है। इस योजना के पहले चरण में 500 केवी क्षमता का सोलर प्लांट स्थापित किया जाएगा। भारतीय रेलवे ने 2030 तक मालदा जोन में बिजली उत्पादन को 21 बिलियन यूनिट से बढ़ाकर 33 बिलियन यूनिट तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है, साथ ही कार्बन उत्सर्जन को शून्य करने का उद्देश्य रखा है। इसके साथ, भारतीय रेलवे दुनिया की सबसे बड़ी नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन करने वाली सरकारी इकाई बन जाएगा।