न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, जो भारत के 51वें चीफ जस्टिस (सीजेआई) के रूप में नियुक्त हुए हैं, अपनी सादगी और सरल जीवनशैली के लिए जाने जाते हैं। हालांकि, हाल ही में एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जिसमें दावा किया गया है कि जस्टिस खन्ना अब अपने पसंदीदा सुबह की सैर नहीं कर सकेंगे। यह बदलाव उनकी नई जिम्मेदारी के साथ जुड़े सुरक्षा प्रोटोकॉल के कारण आया है।
सादगी से जीने वाले जस्टिस खन्ना का सरल जीवन
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने अपने लंबे कानूनी करियर में हमेशा एक सामान्य और संतुलित जीवन जीने को प्राथमिकता दी है। वे हमेशा अपने कार्यों और जीवन में संयम बरतते रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में जज बनने से पहले भी जस्टिस खन्ना की छवि एक सरल और शांत स्वभाव के व्यक्ति के रूप में रही है। अपनी फिटनेस के लिए जस्टिस खन्ना सुबह की सैर करते थे, जो उनकी दिनचर्या का अहम हिस्सा था।
लेकिन अब, जब वे देश के सर्वोच्च न्यायिक पद पर आसीन हुए हैं, तो उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह आदत बदलने पर विवश होना पड़ा है। खबरों के मुताबिक, उन्हें अब सुरक्षा कारणों से अपनी सुबह की सैर छोड़ने का निर्णय लेना पड़ा है।
सुरक्षा प्रोटोकॉल के कारण सैर में बदलाव
चीफ जस्टिस के पद पर काबिज होते ही जस्टिस खन्ना को एक सुरक्षा घेरा प्रदान किया जाएगा, जो उनके जीवन में कई बदलाव लाएगा। यह सुरक्षा प्रोटोकॉल देश के शीर्ष संवैधानिक पदों में से एक पर आसीन व्यक्ति के लिए अनिवार्य होते हैं। जस्टिस खन्ना, जो खुद को लो प्रोफाइल रखने के लिए जाने जाते हैं, ने यह निर्णय लिया कि वे अब अपने पसंदीदा एकांत में सुबह की सैर पर नहीं जा सकेंगे।
खबरों के अनुसार, उन्हें अपने सुरक्षाकर्मियों के साथ सैर पर जाने की सलाह दी गई थी, लेकिन जस्टिस खन्ना ने इस सलाह को ठुकरा दिया। उनका कहना था कि वे ऐसी स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि वे इससे पहले कभी इस तरह के सुरक्षा बंदोबस्त में शामिल नहीं हुए थे।
सादगी की मिसाल: जस्टिस खन्ना का व्यक्तिगत जीवन
जस्टिस संजीव खन्ना का जीवन सादगी से भरा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट में जज बनने के बावजूद उन्होंने अपनी पहचान एक सामान्य व्यक्ति के रूप में ही बनाई। एक उदाहरण के तौर पर, मई 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान जस्टिस खन्ना मतदान करने पहुंचे थे। इस दौरान, जब मीडिया और पत्रकार उनका इंतजार कर रहे थे, जस्टिस खन्ना अपनी निजी कार से मतदान केंद्र पहुंचे और बिना किसी शोर-शराबे के मतदान कर घर लौट आए। यह घटना उनके व्यक्तित्व की सादगी को दर्शाती है।
उनके करीबी लोग बताते हैं कि जस्टिस खन्ना का व्यक्तित्व हमेशा स्कूल-कॉलेज के दिनों जैसा ही रहा है। उन्होंने कभी भी अपने पद और प्रतिष्ठा का फायदा उठाने की कोशिश नहीं की। अब जब वे सीजेआई बने हैं, तो उनकी यह सादगी और सरलता उनके कार्यकाल में भी दिखाई देगी।
नई जिम्मेदारी के साथ सुरक्षा की बढ़ती चुनौतियां
चीफ जस्टिस बनने के बाद, जस्टिस खन्ना के जीवन में बदलाव तो आना था। हालांकि, उनका ध्यान हमेशा न्यायिक प्रक्रिया पर ही केंद्रित रहेगा, लेकिन उन्हें अब अपनी निजी जीवनशैली में भी कुछ बदलाव करने होंगे। अब उन्हें सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी, जो उनकी नई जिम्मेदारी का हिस्सा है।
हालांकि, यह बदलाव जस्टिस खन्ना की सादगी में किसी भी प्रकार की कमी नहीं लाता। उनकी पहचान अभी भी एक ऐसे न्यायधीश के रूप में बनी हुई है, जो अपने व्यक्तिगत जीवन को बहुत ही साधारण तरीके से जीते हैं।
न्यायमूर्ति खन्ना का भविष्य: सादगी और न्याय की मिसाल
जस्टिस संजीव खन्ना की सादगी और उनकी न्यायिक क्षमताओं का मेल उनके करियर में उन्हें कई मील के पत्थर तक पहुंचाएगा। उनका जीवन उन सभी के लिए एक प्रेरणा है, जो मानते हैं कि सत्ता और उच्च पदों का मतलब सादगी और संयम की कीमत पर नहीं होना चाहिए।
सीजेआई बनने के बाद जस्टिस खन्ना अब उन संवेदनशील मुद्दों और केसों का निपटारा करेंगे, जो उनके मार्गदर्शन में न्याय की दिशा तय करेंगे। उनका व्यक्तित्व, जो हमेशा से शांत और साधारण रहा है, न्यायपालिका में उनकी भूमिका को और भी मजबूत करेगा।
निष्कर्ष: जस्टिस खन्ना की सादगी और उनका नया कार्यकाल
जस्टिस संजीव खन्ना का जीवन और उनका सादगी भरा दृष्टिकोण हमें यह सिखाता है कि जीवन में सफलता और सम्मान पाने के बावजूद अपने मूल्यों को न भूलें। सीजेआई के रूप में उनके कार्यकाल में यह उम्मीद की जाती है कि वे उसी सादगी और ईमानदारी से न्याय की सेवा करेंगे, जैसे वे अब तक करते आए हैं।