हरियाणा में शायद ही कोई दिन ऐसा जाता हो जिस दिन सड़क हादसों में किसी यात्री की जान जाने या घायल होने की खबर अखबारों में न छपती हों। यह सही है कि कुछ हादसे अचानक पैदा हुई परिस्थितियों के कारण होते हैं। इन पर किसी का वश नहीं होता है। लेकिन ज्यादातर मामलों में इंसान ही जिम्मेदार होता है। अकसर देखा गया है कि युवा पल भर के रोमांच के लिए गाड़ी को तेज चलाते हैं, स्टंट करते हैं और शराब पीकर गाड़ी चलाते हैं। ऐसे लोग जब हादसे का शिकार होते हैं, तब नुकसान बहुत होता है। तेज गाड़ी चलाने का रोमांच हासिल करने वाले युवा अपनी जान तो जोखिम में डालते ही हैं, सड़क पर चलने वाले दूसरे लोगों की जान के दुश्मन बन जाते हैं। हरियाणा में भी सड़क हादसे कम नहीं हो रहे हैं। यदि आंकड़ों के आधार पर बात की जाए, तो प्रदेश में वर्ष 2021 में 10,049 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं। अगले साल यानी वर्ष 2022 में यह आंकड़ा मामूली रूप से बढ़कर 10,654 हो गया।
प्रदेश में वर्ष 2021 में सड़क दुर्घटनाओं में 4,983 लोगों की मौत हुई, जबकि वर्ष 2022 में यह आंकड़ा 5,228 रहा। राज्य में इन दो वर्ष में दुर्घटनाओं में क्रमश: 7,972 और 8,353 लोग घायल हुए। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के जारी आंकड़ों के मुताबिक 2022 में सड़क दुर्घटनाओं में हर दिन तीन पैदल यात्रियों और हर दूसरे दिन एक साइकिल यात्री को जान गंवानी पड़ी है। सड़क हादसों का दुखद पहलू यह है कि इन सड़क हादसों में अपंग होने वाले लोग जीवन भर के लिए अपने परिवार पर बोझ बनकर रह जाते हैं। इनका जीवन भी बहुत कष्टमय बीतता है। प्रदेश में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं के लिए केवल वाहन चालकों का तेज गति से वाहन चलाना ही नहीं होता है। इसके लिए सड़कों पर बने गड्ढे, यूटर्न, बीच-बीच में लगे कट्स भी जिम्मेदार होते हैं।
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केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय का आंकड़ा बताता है कि सड़कों पर बने गड्ढे और क्षतिग्रस्त सड़कें दुर्घटनाओं के प्रमुख कारण होते हैं। शहरी इलाकों से ज्यादा हादसे ग्रामीण इलाकों में होते हुए पाए गए हैं। प्रदेश में लगातार बढ़ते सड़क हादसों पर काबू पाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर काम कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने तो वर्ष 2030 तक 50 प्रतिशत सड़क हादसों को घटाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। प्रदेश सरकार ने तो इस योजना पर काफी पहले से ही काम करना शुरू कर दिया था। इसका परिणाम यह हुआ कि वर्ष 2023 में सड़क हादसों में आठ प्रतिशत और सड़क हादसों से होने वाली मौतों में नौ प्रतिशत की कमी आई है। सड़क हादसों को रोकने के लिए सभी तरह के प्रयास करने की जरूरत है। सरकारी प्रयास के साथ-साथ लोगों को भी इस मामले में जागरूक होना होगा, तभी सफलता मिलेगी।
-संजय मग्गू
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