इन दिनों प्रदेश के लोग तीन चीजों से बहुत परेशान हैं। पहला है दिनों दिन बढ़ता जा रहा तापमान। दूसरा है दिन और रात में लगने वाला बिजली कट। तीसरा है पानी की कम होती सप्लाई। बात अगर पहली परेशानी की करें, तो इन दिनों हर साल गर्मी पड़ती है। इस बार गर्मी अपने उच्चतम सीमा पर पहुंच गई है, सबसे बड़ी दिक्कत यही है। दिनोंदिन प्रचंड रूप धारण करती गर्मी का कारण जलवायु परिवर्तन है। जलवायु परिवर्तन का कारण कार्बन डाई आक्साइड और अन्य ग्रीन हाउस गैसों का हद से ज्यादा उत्सर्जन है। कार्बन डाई आक्साइड और अन्य विषैली गैसों के अनियंत्रित उत्सर्जन ने हमारी पृथ्वी का तापमान बढ़ा दिया है जिसकी वजह से हर साल हीटवेव की अवधि बढ़ती जा रही है।
आज से कई दशक पहले अप्रैल से जून तक हीटवेव की अवधि चार या पांच दिन हुआ करती थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह अवधि बीस दिन के आसपास पहुंच गई है। इससे काफी लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम किए बिना जलवायु में होने वाला बदलाव रुकेगा नहीं। दूसरी परेशानी यह है कि प्रदेश में पिछले कई सालों से बिजली खपत बढ़ती जा रही है। सरकार का दावा है कि उसके पास सरप्लस बिजली है। यदि उसकी बात सही है तो फिर बार-बार बिजली कट क्यों लग रहे हैं। अभी कुछ महीने पहले ही रिपोर्ट आई थी कि प्रदेश की तीन बिजली संयंत्रों में उत्पादन घट गया है। राजीव गांधी थर्मल पावर प्लांट खेदड़ (हिसार), पानीपत थर्मल पावर प्लांट और यमुनानगर दीनबंधु छोटूराम थर्मल पावर प्लांट में गर्मी के चलते बिजली उत्पादन में भारी कमी आई है।
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प्रदेश के ये तीनों प्लांट लगभग 2510 मेगावाट बिजली उत्पादन करते हैं। जबकि मौजूदा समय में इन प्लांटों से करीब 1956 मेगावाट ही उत्पादन हो रहा है। खेदड़ में स्थापित 1200 मेगावाट प्लांट से 900, पानीपत के 710 मेगावाट से 538 और यमुनानगर के 600 मेगावाट से करीब 502 मेगावाट रोजाना बिजली उत्पादन हो रहा है। बिजली उत्पादन बढ़ाने के सिवा बिजली कट का कोई दूसरा समाधान नहीं है। इसी समस्या से जुड़ी है पानी की समस्या।
सदियों पहले पानी से लबालब भरे रहने वाले प्रदेश हरियाणा के निवासियों को पानी संकट का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश के बाइस जिलों के कई सौ ब्लाक डार्क जोन में चले गए हैं। इन इलाकों में पानी का स्तर काफी नीचे चला गया है। सरकार ने इन इलाकों में जल दोहन पर रोक लगा रखी है। नदियों का पानी गर्मी के चलते पहले से ही कम हो गया है। ऐसे में शहरों और गांवों में जल सप्लाई या तो नहीं हो रही है या फिर बहुत थोड़ी देर के लिए हो रही है। ऐसी स्थिति में स्वाभाविक है कि प्रदेश की जनता इन तीनों समस्याओं से एक साथ जूझ रही है।
–-संजय मग्गू
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