Hubble Space Telescope : स्पेस के चप्पे-चप्पे को खंगालने वाला हबल स्पेस टेलीस्कोप के एक पार्ट में गड़बड़ी आ गई है। इसके कारण 33 साल से ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करने वाले नासा का यह टेलीस्कोप खतरे में है। नासा (NASA) के इस टेलीस्कोप ने अब तक वैज्ञानिकों की काफी मदद की है। अगर हबल टेलीस्कोप की यह खराबी ठीक नहीं की जाती है तो वैज्ञानिकों के लिए बड़ी परेशानी हो सकती है।
Hubble Space Telescope को हुआ क्या
अब तक की जानकारी के मुताबिक हबल टेलीस्कोप के जाइरोस्कोप में गड़बड़ी आ गई है। इस कारण वह सेफ मोड में चला गया है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने कहा है कि इस एक कमी के अलावा हबल टेलीस्कोप की ‘सेहत’ अच्छी है।
कब बना था हबल टेलीस्कोप
हबल टेलीस्कोप को साल 1990 में लॉन्च किया गया था। तब से इस टेलीस्कोप ने अंतरिक्ष में रहकर ब्रह्मांड की हजारों ऐसी तस्वीरें ली हैं, जिनके जरिए वैज्ञानिकों को कई बड़ी जानकारियां हाथ लगी हैं। 2021 में नासा के वैज्ञानिकों ने हबल के सक्सेसर के तौर पर जेम्स वेब टेलीस्कोप लॉन्च किया है। हालांकि, अभी भी हबल टेलीस्कोप की जरूरत बनी हुई है।
क्यों सेफ मोड में चला गया टेलीस्कोप
रिपोर्ट की मानें तो, 23 नवंबर को हबल टेलीस्कोप ऑटोमैटिक रूप से सेफ मोड में चला गया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उसके 3 जाइरोस्कोपों में से एक गलत रीडिंग दे रहा था। तीनों जाइरोस्कोप का काम हबल के टर्न रेट को मापना है। यह हबल के लिए एक जरूरी प्रक्रिया है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि टेलीस्कोप सही दिशा में फोकस कर रहा है।
सेफ मोड में जाने से क्या हुआ नुकसान
हबल टेलीस्कोप के सेफ मोड में जाने से वैज्ञानिकों के कुछ काम रुक गए हैं। टेलीस्कोप का साइंस ऑपरेशन ठप्प पड़ गया है। हबल टेलीस्कोप अब नए निर्देशों का इंतजार कर रहा है। यह टेलीस्कोप पहली बार सेफ मोड में नहीं गया है। रिपोर्टों के अनुसार 13 नवंबर को भी ऐसा हुआ था, लेकिन टेलीस्कोप का संचालन करने वाली टीम ने स्पेसक्राफ्ट को रिकवर कर लिया था। 21 नवंबर को ‘हबल’ फिर से सेफ मोड में चला गया। इस गड़बड़ी को दूसरी बार ठीक किया गया। 23 नवंबर को जो कमी आई, वह अबतक बरकरार है।
हबल टेलीस्कोप ने किए कई बड़े काम
हबल टेलीस्कोप की उपब्धियों की बात करें, तो इसने अब तक की सबसे बड़ी नियर-इंन्फ्रारेड फोटो ली है। नियर-इन्फ्रारेड का मतलब है कि एस्ट्रोनोमर्स सबसे दूर की गैलेक्सी का भी पता लगा सकते हैं। अब तक इतनी बड़ी तस्वीर केवल जमीन से ही प्राप्त की जा सकती थी।