कांग्रेस ने जाति आधारित जनगणना की मांग को एक बार फिर जोरदार तरीके से उठाते हुए कहा है कि जनगणना की प्रश्नावली में एक अतिरिक्त कॉलम जोड़कर अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) का जातिवार आंकड़ा आसानी से एकत्र किया जा सकता है। पार्टी के महासचिव जयराम रमेश (Jai Ram Ramesh: )ने गुरुवार को इस मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए कहा कि इस कदम से जाति जनगणना की व्यापक मांग को पूरा किया जा सकेगा और इसके परिणामस्वरूप सामाजिक न्याय के लिए चलाए जा रहे सकारात्मक कार्यक्रमों को अधिक मजबूत आधार मिलेगा।
Jai Ram Ramesh:सही ढंग से लागू नहीं हो रही हैं योजनाएं
रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि भारत में हर 10 साल में नियमित रूप से जनगणना होती रही है। हालांकि, 2021 में होने वाली जनगणना अब तक नहीं हो पाई है, जिससे आर्थिक योजना और सामाजिक न्याय के कार्यक्रमों के लिए जरूरी महत्वपूर्ण जानकारी एकत्रित नहीं हो सकी है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 और पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 12 करोड़ से ज्यादा भारतीयों को उनका कानूनी हक नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि जनगणना के डेटा के अभाव में योजनाओं को सही ढंग से लागू करना मुश्किल हो रहा है।
1951 में जातिवार आंकड़ा एकत्र किया जाता थाःरमेश
रमेश ने कहा कि हाल ही में ऐसी खबरें आई हैं कि केंद्र सरकार अगले कुछ महीनों में लंबे समय से लंबित और अस्वीकार्य रूप से विलंबित जनगणना करवा सकती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि 1951 से हर जनगणना में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की आबादी के बारे में जातिवार आंकड़ा एकत्र किया जाता रहा है। इसी प्रक्रिया में केवल एक अतिरिक्त कॉलम जोड़कर ओबीसी आबादी के बारे में भी जातिवार आंकड़ा एकत्रित किया जा सकता है, जिससे किसी प्रकार की कोई नई परेशानी नहीं होगी।
जनगणना संविधान की सातवीं अनुसूची में सूचीबद्ध
उन्होंने आगे कहा कि जाति संबंधी जनगणना की मांग सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय को मजबूत करने के लिए आवश्यक है। यह कदम ओबीसी वर्गों के लिए चल रहे सकारात्मक कार्यों को और प्रभावी बनाएगा। रमेश ने यह भी स्पष्ट किया कि जनगणना संविधान की सातवीं अनुसूची के क्रमांक 69 में सूचीबद्ध है, जो इसे केंद्र सरकार की जिम्मेदारी बनाती है। इसलिए, जातिवार जनगणना की पहल करना पूरी तरह से केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। कांग्रेस इस मांग को मजबूती से उठाती रहेगी ताकि सामाजिक न्याय की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें।