Saturday, July 27, 2024
30.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiदाग नहीं, ‘रिंकल्स अच्छे हैं’ बोलिए जनाब!

दाग नहीं, ‘रिंकल्स अच्छे हैं’ बोलिए जनाब!

Google News
Google News

- Advertisement -

देश के वैज्ञानिक समझा रहे हैं कि अब भी समय है, यदि जलवायु परिवर्तन को रोका नहीं गया, तो इसके भयंकर परिणाम हो सकते हैं। उनका सुझाया रास्ता भी बहुत कठिन नहीं है। छोटी-छोटी बातें हैं जिनका ख्याल रखकर हम कार्बन उत्सर्जन को कम कर सकते हैं, पर्यावरण को बचा सकते हैं, पृथ्वी का तापमान कम करने में सहायक हो सकते हैं। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों ने एक अनूठी पहल की है-रिंकल्स अच्छे हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि एक जोड़ी कपड़ा प्रेस करने पर दो सौ ग्राम कार्बन का उत्सर्जन होता है। यदि हम हफ्ते में एक दिन बिना प्रेस किए हुए कपड़े पहनते हैं, तो उस दिन एक जोड़ी कपड़े प्रेस करने पर उत्सर्जित होने वाले दो सौ ग्राम कार्बन का उत्सर्जन रोक सकते हैं। अगर देश के लाखों लोग एक दिन कपड़ा प्रेस करने से बचें, तो एक बड़ी भारी मात्रा में कार्बन का उत्सर्जन रोककर हम जलवायु परिवर्तन को रोक सकते हैं। यह विचार पहली बार भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बंबई के प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी ने मुंबई कार्यालय में जलवायु घड़ी स्थापित करते हुए व्यक्त किया था।

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने अपने कर्मचारियों के लिए ऐसा कोई आदेश नहीं जारी किया है, लेकिन लोग बड़ी खुशी से ‘रिंकल्स अच्छे हैं यानी डब्ल्यूएएच (वाह)’ में भाग ले रहे हैं। पूरे देश में हर सोमवार को 6.25 लाख लोग इस अभियान से जुड़े हैं। चेतन सिंह सोलंकी आशा व्यक्त करते हैं कि बहुत जल्दी देश भर के करोड़ों लोग इस मुहिम से जुड़ेंगे तो हम अपने पर्यावरण को सुधारने में काफी हद तक कामयाब होंगे। सीएसआईआर अपनी सभी प्रयोगशालाओं में दस प्रतिशत बिजली खपत को कम करने की योजना पर काम शुरू कर चुका है। बिजली खपत कम करके ग्लोबल वार्मिंग को कम किया जा सकता है। वैसे अगर देश भर के नागरिक जागरूक हो जाएं, तो अगले दो-तीन दशक तक ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से कुछ हद तक निजात पाई जा सकती है।

यह भी पढ़ें : मौत रूपी तलवार को हमेशा याद रखो

ग्लोबल वार्मिंग की समस्या कोई एक दिन में पैदा नहीं हुई है। हमारे पूर्वजों की छोटी-छोटी गलतियों का नतीजा है कि आज पृथ्वी का तापमान डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने के कगार पर है। पिछली सदी में हुए औद्योगिक विकास ने न केवल हमारी जीवनशैली को बदलकर रख दिया, बल्कि पूरे पर्यावरण के लिए भी मुसीबत खड़ी कर दी। यदि हम थोड़ी-थोड़ी मात्रा में ही सही, कार्बन उत्सर्जन पर अंकुश लगा दें, तो इस देश के एक सौ चालीस करोड़ लोगों का सामूहिक प्रयास कितना बड़ा सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है। अगर एक पंखे से काम चल सकता है, तो दूसरा पंखा बंद करके बिजली की खपत को कम कर सकते हैं। जब तक बहुत जरूरी न हो, तब तक फ्रिज, डीजल-पेट्रोल चालित वाहन, बिजली उपकरण का उपयोग न करें। यदि हम ऐसा करने में सफल हो गए, तो हम अपनी भावी पीढ़ी को स्वस्थ और सुखद पर्यावरण को प्रदान कर सकते हैं। इसके लिए अधिक से अधिक पौधरोपण भी बहुत जरूरी है।

Sanjay Maggu

-संजय मग्गू

लेटेस्ट खबरों के लिए क्लिक करें : https://deshrojana.com/

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

Recent Comments