राज्यसभा(opposition dhankhar:) के सभापति जगदीप धनखड़ और विपक्षी गठबंधन इंडिया के घटक दलों के बीच बढ़ते तनाव के बीच, कई विपक्षी दल उन्हें उपराष्ट्रपति पद से हटाने के लिए प्रस्ताव संबंधी नोटिस देने पर विचार कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, यह कदम जल्द ही उठाया जा सकता है। विपक्षी दलों ने अगस्त में ही इस मुद्दे पर नोटिस देने के लिए जरूरी हस्ताक्षर एकत्र कर लिए थे, लेकिन बाद में उन्होंने धनखड़ को एक और मौका देने का निर्णय लिया। हालांकि, सोमवार को उनके आचरण को लेकर विपक्षी दलों ने अब इस पर आगे बढ़ने का निर्णय लिया है।
कांग्रेस (opposition dhankhar:)इस कदम की अगुवाई कर रही है, जबकि तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और कई अन्य विपक्षी दल इस प्रस्ताव का समर्थन कर रहे हैं। विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “सभापति का आचरण अस्वीकार्य है। वह भाजपा के प्रवक्ता से भी ज्यादा वफादारी दिखाने का प्रयास कर रहे हैं।”
संविधान के अनुच्छेद 67 में उपराष्ट्रपति की नियुक्ति और उन्हें पद से हटाने के प्रावधान किए गए हैं। अनुच्छेद 67(बी) के तहत, उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के एक प्रस्ताव द्वारा उनके पद से हटाया जा सकता है, जो सभी सदस्यों के बहुमत से पारित किया जाए और लोकसभा की सहमति प्राप्त हो। हालांकि, ऐसा प्रस्ताव तब तक पेश नहीं किया जा सकता जब तक कि कम से कम 14 दिनों का नोटिस न दिया जाए, जिसमें यह बताया गया हो कि प्रस्ताव लाने का इरादा है।
सोमवार (opposition dhankhar:)को राज्यसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच कई मुद्दों पर भारी हंगामा हुआ, जिसके कारण उच्च सदन की कार्यवाही तीन बार स्थगित की गई और अपराह्न करीब तीन बजे के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। राजग के सदस्य कांग्रेस और उसके नेताओं पर विदेशी संगठनों के माध्यम से देश की सरकार और अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने का आरोप लगा रहे थे और इस पर चर्चा की मांग कर रहे थे। वहीं, कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने अदाणी समूह से जुड़े मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खरगे सहित कई सदस्यों ने सभापति जगदीप धनखड़ पर राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया।