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PM MODI: प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल प्रौद्योगिकी के लिए वैश्विक रूपरेखा की आवश्यकता पर जोर दिया

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM MODI: )ने मंगलवार को कहा कि डिजिटल प्रौद्योगिकी के लिए वैश्विक स्तर पर एक स्पष्ट रूपरेखा तैयार करने की आवश्यकता है, जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता और प्रौद्योगिकी के नैतिक उपयोग के लिए निर्देश शामिल हों। उन्होंने कहा कि एक आपस में जुड़ी दुनिया में सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

PM MODI: कहा, वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार डेटा के अंतरराष्ट्रीय प्रवाह पर निर्भर करता है

यह टिप्पणी प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (डब्ल्यूटीएसए) और इंडिया मोबाइल कांग्रेस के उद्घाटन के दौरान की। उन्होंने बताया कि जिस तरह से विमानन क्षेत्र के लिए एक व्यापक रूपरेखा विकसित की गई है, उसी प्रकार डिजिटल दुनिया को भी नियमों और विनियमों की आवश्यकता है।मोदी ने कहा, “समय आ गया है कि वैश्विक संस्थाएं डिजिटल प्रौद्योगिकी के लिए नियम-आधारित रूपरेखा के महत्व को स्वीकार करें।” उन्होंने यह भी कहा कि डिजिटल नियम केवल व्यक्तिगत गोपनीयता, मीडिया में गलत सूचना, प्रौद्योगिकी कंपनियों की जवाबदेही और अन्य सामाजिक मुद्दों के कारण महत्वपूर्ण नहीं हैं, बल्कि इसलिए भी कि वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार डेटा के अंतरराष्ट्रीय प्रवाह पर निर्भर करता है।

PM MODI: डिजिटल उपकरण और अनुप्रयोग भौतिक सीमाओं से परे

उन्होंने बताया कि डिजिटल उपकरण और अनुप्रयोग भौतिक सीमाओं से परे हैं और कोई भी देश अकेले अपने नागरिकों को साइबर खतरों से सुरक्षित नहीं रख सकता। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है। मोदी ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के नैतिक उपयोग पर जोर दिया और विधायिका से ऐसे मानक बनाने का आग्रह किया जो समावेशी, सुरक्षित और भविष्य की चुनौतियों के अनुकूल हों। प्रधानमंत्री ने कहा कि संघर्षों से ग्रस्त दुनिया में आम सहमति और संपर्क की आवश्यकता है, और भारत इस दिशा में प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा, “भारत का एकमात्र मिशन दुनिया को जोड़ना और प्रगति के नए द्वार खोलना है।” नई दिल्ली के भारत मंडपम में अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ – विश्व दूरसंचार मानकीकरण सभा (डब्ल्यूटीएसए) 2024 का उद्घाटन करते हुए, उन्होंने इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2024 के 8वें संस्करण का भी शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने एक प्रदर्शनी का दौरा भी किया।

तकनीकी क्रांति के लिए मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया पीएम ने

मोदी ने तकनीकी क्रांति के लिए मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया और जिम्मेदार तथा टिकाऊ नवाचार की आवश्यकता की बात की। उन्होंने कहा कि सुरक्षा, सम्मान और समानता के सिद्धांत हमारी चर्चाओं के केंद्र में होने चाहिए।प्रधानमंत्री ने भारत की डिजिटल उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत में 120 करोड़ मोबाइल फोन उपयोगकर्ता और 95 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं। उन्होंने यह भी बताया कि देश में दुनिया के 40 प्रतिशत से अधिक डिजिटल लेनदेन होते हैं।उन्होंने कहा कि भारत ने दिखाया है कि डिजिटल संपर्क अंतिम छोर तक आपूर्ति के लिए एक प्रभावी उपकरण बन सकता है। 5जी दूरसंचार सेवाओं के तेजी से क्रियान्वयन के बाद, उन्होंने कहा कि 6जी पर भी काम शुरू हो चुका है।मोदी ने कहा कि पिछले दशक में भारत मोबाइल फोन का आयातक से निर्यातक बन गया है और उसने पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से आठ गुना अधिक ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क बिछाया है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का डिजिटल विजन चार स्तंभों पर आधारित है: उपकरणों को सस्ता बनाना, सभी तक संपर्क सुविधा देना, किफायती डेटा और डिजिटल-फर्स्ट दृष्टिकोण।उन्होंने यह भी कहा, “हमने डिजिटल संपर्क को अंतिम छोर तक आपूर्ति के लिए एक प्रभावी साधन बना दिया है,” और भारत डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के सफल निर्माण के अपने अनुभव को शेष विश्व के साथ साझा करने के लिए इच्छुक है।

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