उच्चतम न्यायालय ने शंभू सीमा(SC- Shambhu Border : ) पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की शिकायतों के सौहार्दपूर्ण निवारण के लिए सोमवार को एक समिति का गठन किया। इस समिति की अध्यक्षता पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति नवाब सिंह करेंगे। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि किसानों के प्रदर्शन के मुद्दे को राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए।
SC- Shambhu Border : पंजाब और हरियाणा दोनों सरकारें समिति को सुझाव देने के लिए स्वतंत्र
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने समिति को निर्देश दिया कि वह एक सप्ताह के अंदर अपनी पहली बैठक बुलाए और आंदोलनकारी किसानों से संपर्क साधे। किसानों से आग्रह किया गया कि वे पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू सीमा से ट्रैक्टर और ट्रॉली हटाएं ताकि आम यात्रियों को राहत मिले। पीठ ने कहा कि पंजाब और हरियाणा दोनों सरकारें समिति को सुझाव देने के लिए स्वतंत्र होंगी। किसान अपनी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित कई मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। न्यायालय ने कहा, “हमें उम्मीद है कि तटस्थ उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित करने की आंदोलनकारी किसानों की एक प्रमुख मांग को दोनों राज्यों की सहमति से स्वीकार किए जाने के बाद वे तुरंत समिति के अनुरोध पर कार्रवाई करेंगे और बिना किसी देरी के शंभू बॉर्डर या दोनों राज्यों को जोड़ने वाली अन्य सड़कों को खाली कर देंगे।”
SC- Shambhu Border : समिति में कौन-कौन शामिल
पीठ ने कहा कि इस कदम से आम जनता को बड़ी राहत मिलेगी, जो राजमार्गों की नाकेबंदी के कारण कठिनाइयों का सामना कर रही है। इससे समिति और दोनों राज्यों को किसानों की वास्तविक और न्यायोचित मांगों पर निष्पक्ष तरीके से विचार करने में मदद मिलेगी। समिति में सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी पी. एस. संधू, देवेंद्र शर्मा, प्रोफेसर रंजीत सिंह घुम्मन और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कृषि अर्थशास्त्री डॉ. सुखपाल सिंह शामिल हैं। समिति के अध्यक्ष को निर्देश दिया गया कि जब भी आवश्यकता हो, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी. आर. कंबोज को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में आमंत्रित किया जाए।
किसानों को राजनीतिक दलों से दूरी बनाने को कहा गया
पीठ ने कहा कि अध्यक्ष समिति के लिए एक सदस्य सचिव की नियुक्ति कर सकते हैं, जिसकी जिम्मेदारी समिति के सदस्यों के बीच समन्वय स्थापित करना, बैठकें आयोजित करना और रिकॉर्ड रखना होगी। पीठ ने प्रदर्शनकारी किसानों को आगाह किया कि वे राजनीतिक दलों से दूरी बनाए रखें और ऐसी मांगों पर अड़े न रहें जो व्यवहार्य नहीं हैं। अदालत ने कहा कि समिति द्वारा की गई सिफारिशों पर न्यायालय चरणबद्ध तरीके से विचार करेगा। न्यायालय ने रेखांकित किया कि दोनों राज्य सरकारों ने शांतिपूर्ण आंदोलन के लिए वैकल्पिक स्थलों की पहचान कर ली है और किसानों को अपने विरोध प्रदर्शन स्थल को वहां स्थानांतरित करने की आजादी होगी।
अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी
पीठ ने कहा कि पंजाब और हरियाणा में बड़ी आबादी कृषि से जुड़ी है और उनकी वैध आकांक्षाओं पर सहानुभूति और उचित विचार किया जाना चाहिए। इसने दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस प्रमुखों को समिति को सभी प्रकार की सहायता उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी और इस बीच समिति के सदस्य सचिव अंतरिम स्थिति रिपोर्ट पेश करेंगे। यह मामला हरियाणा उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देने वाली हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया। आदेश में सरकार से अंबाला के पास शंभू सीमा पर लगाए गए अवरोधकों को एक सप्ताह में हटाने को कहा गया था, जहां प्रदर्शनकारी किसानों ने 13 फरवरी से डेरा डाल रखा है। हरियाणा सरकार ने अंबाला-नयी दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवरोधक लगाए थे जब ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ और ‘किसान मजदूर मोर्चा’ ने दिल्ली तक मार्च की घोषणा की थी।
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