हम सब यह बात भलीभांति जानते हैं कि इन दिनों देश भर में चुनावों का माहौल चल रहा है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और मुझे गर्व है कि मैं इस प्रणाली की एक महत्वपूर्ण कड़ी हूं। इस देश का हर मतदाता भी ऐसा ही है। लोकतंत्र को ताकत, देश के लोगों से ही प्राप्त होती है। मुझे पहली बार मतदान करने का सौभाग्य पिछले आम चुनाव अर्थात सन 2019 में प्राप्त हुआ था। इस बार भी मैं और मेरा परिवार मतदान रूपी इस महा यज्ञ में आहुति अर्पण करने अवश्य जाएंगे। मैं स्वयं भी राजनीति शास्त्र की छात्रा रही हूं। मैं यह बात अच्छी तरह से जानती हूं कि मतदान का अधिकार रास्ते पर पड़े किसी कंकर की तरह नहीं है जिसको बहुत ही आसानी से कहीं से भी उठाया जाए और किसी भी तरह उसका इस्तेमाल कर लिया जाए। मतदान का अधिकार तो उस अमृत रूपी धारा की तरह है जो जीवन में स्वतंत्रता, समानता और आजादी जैसे वरदानों को लेकर आया है।
दो सौ से भी अधिक वर्षों तक गुलामी का दर्द सहन करने के पश्चात जब भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ, तो देश के किसी भी व्यक्ति के मन में यह संशय नहीं था कि देश को चलाने के लिए किस प्रकार की शासन प्रणाली की व्यवस्था की जाए। हर व्यक्ति इस बात से भली प्रकार से परिचित था कि गुलामी के जख्मों पर यदि दवा के रूप में कुछ कारगर हो सकता है तो वह लोकतांत्रिक शासन ही है। जहां भारत एक बार फिर से सोने की चिड़िया बनने के न केवल सपने देख सकता है बल्कि उनको साकार भी कर सकता है।
यह भी पढ़ें : नौकर का कर्तव्य अपने मालिक की सेवा करना
एक तरफ जहां पश्चिम के विकसित देशों में भी महिलाओं को मतदान का अधिकार नहीं दिया गया था, वहां भारत अपने आप में दुनिया के लिए बहुत बड़ी मिसाल के रूप में साबित हुआ। उन दिनों बहुत ही कम साक्षरता दर होने के बावजूद देश में सभी को समान रूप से मतदान का अधिकार दिया गया। सबको मतदान का समान अवसर प्रदान किया गया। बहुत से लोगों ने इस बात का मजाक उड़ाया, तो कुछ लोग तो इसे जुआ कहकर भी पुकार रहे थे। किंतु भारत ने पूरी दुनिया की दातों तले उंगली दबवा दी और 1951 में हुए प्रथम आम चुनाव देश में मील का पत्थर साबित हुए। 1952 से शुरू हुआ यह सफर 2024 के आम चुनावों तक पहुंच चुका है। भारत बहुत सी सरकारों के बनने और गिरने का साक्षी है किंतु यदि कोई चीज है जो आज तक भी चट्टान की तरह मजबूत है तो वह है भारत के लोगों में लोकतंत्र को जीवंत रखने की भावना। इसी भावना के चलते आज भारतीय लोकतंत्र पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बनकर रह गया है। दुनिया भारतीय लोकतंत्र की सराहना करत है।
यह अति आवश्यक है कि भावों को सही कार्रवाई के साथ जोड़ दिया जाए तभी अच्छे परिणाम हमें देखने को मिलते हैं। मतदान का दिन कोई अवकाश का दिन नही होता हैं कि हम पिकनिक मनाने परिवार के साथ चल दिए। सबसे बड़े कर्तव्य को वहन करने का दिन होता है मतदान का दिन। इस कर्तव्य को वहन करने का भाव यदि बचपन से ही व्यक्ति के मन में जागृत कर दिया जाए, तो देश को एक जिम्मेदार पीढ़ी प्राप्त होती है। हाल ही में मैंने अपने विद्यालय में सभी कक्षाओं में मॉनिटर के चुनाव करवाए जिसमें नामांकन, प्रचार व अंत में सभी ने मतदान करके अपने कक्षा प्रतिनिधि का चुनाव किया। देश के हर नागरिक को समझना चाहिए कि जिस स्वतंत्रता का जायका वह ले रहे हैं, उसको सुरक्षित बनाए रखने के लिए मतदान अति आवश्यक है।
सही व्यक्ति के हाथों में ही देश की बागडोर प्रदान की जानी चाहिए। पार्टी विशेष को नहीं बल्कि सही कार्य करने वाले को ही वोट दिया जाना चाहिए। सरकार कोई भी हो, किसी भी पार्टी की हो, लक्ष्य यह होना चाहिए कि देश का विकास हो, हमारे देश की एकता और संप्रभुता सदैव-सदैव के लिए अखंड रहे। पूर्व प्रधानमंत्री स्व: अटल बिहारी वाजपेई ने एक बात बिलकुल सही कही थी कि सरकारें आएंगी सरकारें जाएंगी, यह देश रहना चाहिए, देश का लोकतंत्र रहना चाहिए।
(यह लेखिका के निजी विचार हैं।)
-तान्या लूथरा
लेटेस्ट खबरों के लिए क्लिक करें : https://deshrojana.com/