कोयल क्यों सबको प्रिय होती है और कौआ क्यों अप्रिय प्रतीत होता है? इसका कारण सिर्फ एक ही है और वह है वाणी। कोयल की आवाज मीठी होती है, इसलिए लोगों को प्रिय लगती है। कौआ जब भी बोलता है, तो कर्कश आवाज में बोलता है। यदि आदमी भी मीठा बोलने लगे, तो वह सबका प्यारा हो जाता है। मीठी वाणी बोलने से दुश्मन भी अपना हो जाता है, वह वैरभाव भूल जाता है। प्रिय और मीठा बोलने वाला भले ही भौतिक रूप से मौजूद न रहे, लेकिन लोग उसकी प्रशंसा करने से नहीं चूकते हैं। मीठी वाणी अमृत के समान होती है। लोग अमृत खोजते फिरते हैं, लेकिन मीठा बोलना नहीं सीखते हैं। एक गुरुकुल के आचार्य थे सुबुद्ध।
वह अपने शिष्यों को हमेशा मधुर बोलने को प्रेरित करते थे। उन्होंने अपने शिष्यों को अमृत के बारे में भी बताया था कि इसका पान करने से व्यक्ति अमर हो जाता है। उनका एक शिष्य था अबुद्ध। उसने सोचा कि कहीं से अमृत हासिल किया जाए। एक दिन वह अपने गुरु को बिना बताए अमृत की खोज में निकल पड़ा। उस समय वह जितने भी देशों में जा सकता था, वह गया। उसने सब जगह अमृत की खोज की। सबसे उसने अमृत के बारे में पूछा।
किसी को भी अमृत के बारे में नहीं ज्ञात था। सबने इस बारे में अनभिज्ञता प्रकट की। थक हारकर कई वर्ष बाद अबुद्ध अपने गुरु के पास लौट आया। उसने कहा कि आपने अमृत के बारे में बताया था, लेकिन वह तो कहीं नहीं मिला। तब गुरु सुबुद्ध ने कहा कि मीठी वाणी ही अमृत है। इसको बोलने से आदमी अमर हो जाता है। मीठा बोलने वाले व्यक्ति को लोग हमेशा याद करते हैं। एक तरह से प्रिय बोलने वाला अमर हो जाता है। यह सुनकर अबुद्ध शर्मिंदा होकर अध्ययन में जुट गया।
-अशोक मिश्र