जी हाँ, अगर आपका बच्चा भी जरूरत से ज्यादा दूध और बिस्कुट खा रहा है तो सावधान हो जाइए, वह भी मिल्क बिस्किट सिंड्रोम की चपेट में आ सकता है। बच्चो के सम्पूर्ण विकास के लिए दूध बहुत ज़रूरी होता है लेकिन ऐसे बहुत से बच्चे हैं जो कि दूध पीने में आनाकानी करते हैं। ऐसे में माता पिता अपने बच्चों को उनके पसंदीदा बिस्किट, कुकीज़ आदि का लालच देते हैं। जिसके बाद दूध और बिस्किट का कॉम्बिनेशन पसंद आने लगता है जिसके बाद बच्चे लगातार दूध बिस्किट की मांग करने लगते हैं। रोज़ाना दूध बिस्किट का सेवन करने से बच्चों में मिल्क बिस्किट सिंड्रोम हो जाता है और माँ बाप को इसकी कोई खबर तक नहीं होती। आमतौर पर डॉक्टर मिल्क बिस्किट सिंड्रोम को दूध व कुकी रोग से संदर्भित मानते हैं। हांलांकि और भी कई चीज़े ऐसी हैं जिससे यह बीमारी हो सकती है। जानते हैं आखिर क्या है यह मिल्क बिस्किट सिंड्रोम।
मिल्क बिस्किट सिंड्रोम
आमतौर पर यह सिंड्रोम अधिक मात्रा वाले प्रिज़र्वेटिव, डेरी प्रोडक्ट्स व अधिक चीनी वाली चीज़ों से होता है। वहीं बिस्कुट में उनहेल्थी फैट्स पाए जाते हैं। अगर सोने से ठीक पहले दूध और बिस्किट का सेवन किया जाता है तो इनमे मौजूद एसिड पेट से भोजन नली में वापस जाकर कभी-कभी गले तक पहुंच जाता है। ऐसे में बच्चों को बड़ों की तरह सीने में जलन की शिकायत नहीं होती। उन्हें अक्सर छाती में कफ जमने, नाक बेहने ,गले में खराश, खांसी आदि समस्याऐं होती है। यह सभी मिल्क सिंड्रोम के लक्षण है। यदि आप भी अपने बच्चों को रात में रोज दूध पीने के लिए देते हैं और आपको महसूस होता है कि बच्चो को कफ, गले में खराश, कब्ज़, खांसी आदि की समस्या है तो आपको तुरंत पीडियाट्रिशियन से संपर्क करने की जरूरत है। अन्यथा आपके बच्चे को भी डायरिया, वेट गेन, एसिडिटी आदि की समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा आइसक्रीम, सोडा, फ्लेवर्ड योगर्ट व सॉफ्ट ड्रिंक आदि से भी बच्चे इस कंडीशन का शिकार बन सकते हैं।
मिल्क बिस्किट सिंड्रोम बीमारी के लक्षण
1. बार-बार दूध-बिस्किट खाने की ज़िद करना
2. खाना खाने के बाद भी दूध-बिस्किट खाने की मांग
3. दुख का सेवन बिना बिस्कीट के न करना
4. पूरा दिन खाने न खाकर सिर्फ दूध और बिस्कुट के लिए ज़िद करना
इस सिंड्रोम से होने वाली समस्याएं
1. दांतों का सड़ना
2. कब्ज़ की समस्याओं का बढ़ना
3. वज़न बढ़ना
4. कम उम्र में डायबिटीज
5. शरीर में इम्युनिटी का कमज़ोर होना
6. अचानक शुगर लेवल का बढ़ना
वक़्त रहते इलाज है ज़रूरी
अगर आपके बच्चे को ऐसी समस्या है या आपको लगता है कि ऐसे लक्षण आपके बच्चे में भी दिख रहे हैं तो डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें। इस सिंड्रोम से बचाव के लिए आप किसी न्यूट्रीशनिस्ट या डाइटिशियन की भी मदद ले सकते हैं। वो एक डाइट प्लान बनाकर आपको देंगे। ध्यान रहे कि उनके दिए हुए डाइट प्लान के हिसाब से ही बच्चे की डाइट तैयार करें। बच्चे को केवल हेल्थी मील का ही सेवन कराएं इसके साथ ही कुछ दिनों के लिए बच्चे को दूध देना बंद कर दें।