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रॉन्ग पॉलिसी : ओवरलोड से चरमरा गई पूरे शहर की बिजली व्यवस्था

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बेशक राज्य सरकार शहर के लोगों को सुविधाएं देने के लिए नई नई पॉलिसी ला रही है। लेकिन बिना योजना और सर्वे के बिना बनाई जाने वाली पॉलिसी  आम लोगों के लिए नई नई समस्याएं भी खड़ी कर रही है। सरकार ने संसाधनों में इजाफा किये बिना लोगों को स्टिल्ट पार्किंग के साथ चार मंजिला इमारतें बनाने की छूट दी थी। जिसका फायदा लोगों को कम और बिल्डरों को ज्यादा हुआ है। लेकिन इस पॉलिसी ने आम लोगों के लिए कई समस्याएं खड़ी कर दी है। पेयजल समस्या से तो लोग पहले ही जूझ रहे थे। लेकिन अब इस गर्मी के मौसम में लोगों को बिजली की समस्या से परेशानी हो रही है। बिल्डरों द्वारा चार से छह मंजिला इमारतों में बनाए गए आठ-आठ फ्लैटों में कनेक्शनों की संख्या भी बढ़ गई है। जब कि बिजली निगम के पास सीमित संसाधन है। ऐसे में बिजली व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। हेल्पलाइन नंबर 1912 में शिकायत करने पर निवारण किये बिना ही समाधन करने संदेश भेजे जा रहे हैं।

सर्वे के बिना थोपी पॉलिसी

शहर के बुद्धि जीवियों का मानना है स्टिल्ट पार्किंग के साथ चार मंजिला फ्लैट बनाने की पॉलिस नए सेक्टरों में तो कारगर साबित हो सकती है। लेकिन पुराने सेक्टर और रिहायशी कालोनियों मेंइस पॉलिसी को लागू करना नुकसान दायक साबित हो रहा है। जिसका उदाहरण एनएच एक, दो, तीन और पांच में देखा जा सकता है। इन इलाकों में फ्लैट बनने के साथ ही लोगों के सामने कई समस्याएं खड़ी होने लगी थी। नगर निगम के सीमित संसाधनों पर बोझ बढ़ने से जहां पेयजल की किल्लत शुरू हो गई। वहीं सीवर ओवरफ्लो की समस्या ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। पिछले कुछ दिनों से पड़ रही भयानक गर्मी ने शहर में बिजली व्यवस्था को बिगाड़ कर रख दिया है। पुराने ट्रांसफार्मर और तारों में बार बार हो रहे बिजली के फाल्ट ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है।

अधिकारी नहीं उठाते फोन

सरकार ने हेल्पलाइन नंबर 1912 जारी कर बिजली अधिकारियों और कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय की थी। इस नंबर पर शिकायत करने पर संबंधित कर्मचारी की जवाब देही भी तय की गई थी। लेकिन बिजली निगम के  अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्यशैली अथवा लापरवाही से यह नंबर व्यर्थ साबित हो रही है। बिजली गुल होने अथवा बिजली की अन्य परेशानी होने पर लोग इस नंबर पर अपनी शिकायत दर्ज करवाते हैं। जिसके बाद समस्या का समाधान तो होता नहीं है। लेकिन शिकायत करने के कुछ देर बाद ही समस्या का समाधान कर दिये जाने का संदेह जरूर लोगों के मोबाइल पर पहुंच जाता है। जिसे देखकर लोग हैरान हो रहे हैं। परेशान होकर लोग अपने इलाके के बिजली कर्मचारी अथवा अधिकारियों को फोन करते हैं। लेकिन यह संबंधित अधिकारी अथवा कर्मचारी शिकायत करने वालों के फोन तक रिसीव करने की जरूरत महसूस नहीं करते।

बिजली समस्या से परेशान है लोग

बिजली गुल होने पर हेल्पलाइन नंबर और अन्य माध्यमों का उपयोग करने का कोई फायदा नहीं होता। पिछले दिनों एनएच तीन में 48 घंटे तक बार बार बिजली आ जा रही थी। इलाके के एक व्यक्ति ने हेल्पलाइन नंबर 1912 पर कॉल किया तो उनके पास समस्या का समाधान करने का संदेश आ गया। जब कि बिजली समस्या बरकरार थी। इसी तरह पर्वतीय कालोनी में बिजली गुल होने पर हेल्पलाइन पर कॉल करने पर बिना समाधान किये ही संदेश आने लगे। नेहरू ग्राउंड इलाके में समस्या होने पर व्यापारियों द्वारा फोन करने पर कर्मचारी रिसीव नहीं करते। यहां दिन भर बिजली सकंट बना रहता है। इनकी लापरवाही से हादसे तो होते ही हैं, समस्याएं भी अनेक हैं। पिछले दिनों लक्कड़ पुर में करंट से व्यक्ति की मौत हो गई थी। बिजली की नंगी तारों से शहर में अनेक हादसे होते रहते हैं।

व्यवस्था में सुधार करना होगा

समाजसेवी विष्णु गोयल का कहना है कि सरकार समस्याओं को कम करने के लिए Onilne सुविधाओं में इजाफा कर रही है। लेकिन संबंधित विभागों के कर्मचारी पुराने ढर्रे पर चल कर आज भी लापरवाही बरत रहे हैं। जिससे लोगों को  परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में कर्मचारियों की कार्य प्रणाली में भी सुधार लाने की बेहद जरूरत है।

राजेश दास

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