शिव महापुराण हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पुराण है जो शैव धर्म से सम्बन्धित है। इस पुराण में भगवान शिव के बारे में विस्तृत उल्लेख है। साथ ही इसमें शिव-पार्वती की गाथा का भी वर्णन किया गया है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति शिव पुराण की कथा पढ़ता या सुनता है उसे आनंद और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शिव महापुराण में भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, रहस्यमय व्याख्या, रहस्य, महिमा और उपासना के बारे में बताया गया है। इसके अलावा शिव पुराण में पूजा विधि, ज्ञान और शिक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें भी बताई गई हैं। शिव पुराण हिन्दू धर्म के 18 पुराणों में से एक है। 18 पुराणों की सूची में शिव पुराण चौथे नंबर पर है। आइए जानते हैं कि शिव पुराण का सभी 18 पुराणों में सबसे अधिक महत्व क्यों है और इसे इतना महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है।
शिव पुराण को क्यों माना जाता है महत्वपूर्ण?
शिव पुराण न केवल भगवान शिव के विभिन्न रूपों के बारे में बताता है, बल्कि भगवान शिव की भक्ति की शक्ति और महिमा का भी प्रचार करता है। जहां सभी पुराणों में भगवान शिव को त्याग, तपस्या, वात्सल्य और करुणा आदि की मूर्ति के रूप में बताया गया है, वहीं शिव पुराण में भगवान शिव के जीवंत चरित्र और उनकी जीवनशैली, विवाह, पुत्रों के जन्म आदि पर प्रकाश डाला गया है। इन्हीं कारणों से शिव पुराण को विशेष माना जाता है।
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शिव पुराण के लाभ
- वैसे तो शिव पुराण का पाठ कभी भी किया जा सकता है लेकिन सावन माह में शिवपुराण का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।
- जो व्यक्ति शिव पुराण को पढ़ता या सुनता है उसे भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- शिव पुराण का पाठ करने से जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है।
- ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति शिव पुराण का पाठ करता है उसे मृत्यु के बाद शिव गण लेने के लिए जाते हैं।
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