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Holashtak 2024 : क्यों माना जाता है होलाष्टक को अशुभ, जानिए इससे जुड़ी कुछ खास बातें

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Holashtak 2024 : होली रंगों और प्रेम के त्यौहार के रूप में मनाई जाती है। इस त्यौहार की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। होली से पहले होलाष्टक (Holashtak) का समय आता है हिन्दू धर्म के अनुसार होलाष्टक (Holashtak) का समय अशुभ माना गया है जिसके कारण इस दौरान शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है। बता दें कि होली से आठ दिन पहले होलाष्टक (Holashtak) लगता है। इसकी शुरुआत फाल्‍गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होती है और इसका समापन फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह आठ दिन की अवधी बहुत अशुभ मानी जाती है। माना जाता है कि इस दौरान शुभ कार्य करने से भारी नुक्सान का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि होलाष्टक (Holashtak) के इस समय को हिन्दू धर्म में इतना अशुभ क्यों माना जाता है। आइए जानते हैं इसका प्रमुख कारण और इसकी कथा…

Holashtak 2024

क्यों होलाष्टक को माना जाता है अशुभ?

पौराणिक मान्यातों के अनुआर, होलाष्टक (Holashtak) के दिनों में वातावरण में नकारात्मकता शक्ति का प्रवाह बहुत अधिक बढ़ जाता है। जिस वजह से इस अवधि के दौरान शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है। होलाष्टक (Holashtak) की अवधि के दौरान इन आठ दिनों में चन्द्रमा, सूर्य, शनि, शुक्र, गुरु, बुध, मंगल और राहु आठ ग्रह उग्र अवस्था में रहते हैं। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, यदि इस दौरान कोई व्यक्ति किसी प्रकार का मांगलिक कार्य करता है तो उसे कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, या फिर वह शुभ कार्य अधूरा रह जाता है। इसलिए होलाष्टक (Holashtak) की अवधि खत्म हो जाने के बाद यानि कि होलिका दहन (Holika Dehen) के बाद ही शुभ कार्य किए जा सकते हैं।

Holashtak 2024

यह भी पढ़ें : होली के दिन लगेगा साल का पहला चंद्र ग्रहण, यहां जानें ग्रहण के बारे में सबकुछ

होलाष्टक की कथा

हिन्दू धर्म की पौराणिक कथा के अनुसार, होलिका दहन (Holika Dehen) से 8 दिन पहले यानी कि फाल्‍गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद को उनके पिता हिरण्यकश्यप ने बंदी बना लिया था। जब नारायण भक्ति से प्रहलाद को विमुख करने के सभी उपाय निष्फल होने लगे तो हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को बहुत प्रताड़ित किया।

Holashtak 2024

नारायण भक्ति से दूर करने के लिए हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रहलाद को सात दिनों तक कई यातनाएं दी थी। जिसके बाद आठवें दिन हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने (जिसे ब्रह्मा द्वारा अग्नि से न जलने का वरदान था) भक्त प्रह्लाद को मृत्यु देने के लिए एक हिरण्यकश्यप के सामने प्रस्ताव रखा जिसे हिरण्यकश्यप ने तुरंत स्वीकार कर लिया। होलिका ने प्रहलाद को अपनी गोद में बिठाकर भस्म करने की कोशिश लेकिन वह भी नाकाम हुई और स्वयं अग्नि में जलकर भस्म हो गई। उसी दिन से भक्ति पर आघात हो रहे इन आठ दिनों को होलाष्टक (Holashtak) के रूप में मनाया जाता है।

Disclaimer : (इस लेख में दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। लेख में दी गई जानकारी के लिए deshrojana.com किसी भी तरह की मान्यता की पुष्टि नहीं करता है। अतः अधिक जानकारी के लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें।)

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