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कतर में पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा से राहत मिलने को विदेश मंत्रालय ने क्यों बताया ‘संवेदनशील मामला’?

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कतर की जेल में बंद 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को मौत की सजा से राहत मिलने को लेकर भारत सरकार ने आज इस मामले पर कहा कि हम मामले को देख रहे हैं। अभी हमें थोड़ा इंतजार करना होगा। वहीं विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ”इस मामले पर मैं अभी ज्यादा टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा क्योंकि अभी तक आदेश की कॉपी नहीं आई है। हमने कल भी यह बताया था। यह एक संवेदनशील मामला है। हमारी चिंता उन 8 भारतीयों और उनके परिवार के हित से जुड़ी हुई है। जिस कारण हमें थोड़ा इंतजार करना होगा।”

दरअसल, कतर की कोर्ट ने भारतीय नौसेना के 8 पूर्व कर्मियों की मौत की सजा पर गुरुवार, 28 दिसंबर को सजा को कम करते हुए रोक लगा दी थी। इन सभी को अगस्त में गिरफ्तार किया किया गया था और 26 अक्टूबर को मौत की सजा सुनाई गई थी। जिसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि यह एक हैरान करने वाला फैसला है। जिसको लेकर हम कोर्ट में जाएंगे।

विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?

गुरुवार को बयान जारी कर विदेश मंत्रालय ने कहा था, ”हमने कतर की अपीलीय अदालत के आज के फैसले पर गौर किया, जिसमें सजा को कम कर दिया गया है। मामले की कार्यवाही की प्रकृति गोपनीय और संवेदनशील होने के कारण, इस समय कोई और टिप्पणी करना उचित नहीं है।’’

क्या यह फैसला भारत की कूटनीतिक जीत है?

वहीं इस मामले में राहत मिलने को भारत की कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है, ऐसा इसलिए क्योंकि हाल ही में कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी के साथ पीएम नरेंद्र मोदी ने दुबई में कोप28 के इतर में मुलाकात की थी। जिसके बाद पीएम मोदी ने बताया था कि हम दोनों के बीच भारतीय समुदाय के कल्याण को लेकर चर्चा हुई है।

क्या है मामला?

दरअसल, कतर ने भारतीय नौसेना के 8 पूर्व कर्मियों को कथित जासूसी के मामले में गिरफ्तार किया था। हालांकि कतर की ओर से आरोपों को लेकर अभी तक कुछ भी साफ नहीं किया गया है

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