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वाहन चालकों की लापरवाही साबित हो रही जानलेवा

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सरकार की ओर से वर्ष 2022 में सड़क हादसों पर जारी की गई रिपोर्ट से पता चलता है कि हमारे देश में सरकारें जितनी जागरूकता पैदा करने की कोशिश करती हैं, लोग उतनी ही लापरवाही बरतते हैं। सरकार के तमाम जागरूकता अभियानों के बावजूद लोग मानते नहीं हैं। वे यह समझने को तैयार ही नहीं हैं कि यातायात नियमों का पालन करने में उनका ही भला है। लोग सीट बेल्ट लगाना और हेलमेट पहनना जैसे अपनी शान के खिलाफ समझते हैं। कई मामलों में तो यह देखा गया है कि हेलमेट लोग साइड में लटका लेते हैं और जहां कहीं चेकिंग होती दिखी झट से पहन लिया और बाद में उतारकर फिर वहीं टांग दिया।

वर्ष 2021 के मुकाबले 2022 में सड़क हादसों और हादसों में जान गंवाने वालों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। केंद्रशासित प्रदेश और राज्यों से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2022 में 461312 सड़क हादसे दर्ज किए गए थे। इन हादसों में मरने वालों की संख्या 168491 थी, जबकि 443366 लोग जख्मी हुए थे। इससे पहले साल के मुकाबले में हादसों की संख्या में 11.9 प्रतिशत, मरने वालों की संख्या में 9.4 और घायलों की संख्या में 15.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। हेलमेट और सीट बेल्ट न लगाने की वजह से 66744 लोगों की जान गई थी। यह संख्या कुल मरने वालों की 40 फीसदी थी।

दरअसल, सच तो यह है कि सड़क को सुरक्षित बनाने की जिम्मेदारी सिर्फ केंद्र या राज्य सरकार और अधिकारियों की ही नहीं है। यह सड़क पर चलने वालों की भी जिम्मेदारी है। सरकार अच्छी सड़कें बनवा सकती है। नियम कायदे बना सकती है, उसके लिए जागरूकता अभियान चला सकती है, लेकिन सड़कों पर चलना, नियम कायदे कानून का पालन करना, तो नागरिकों को ही है। यदि कोई निर्धारित सीमा से अधिक तेज वाहन चलाएगा, सड़कों के नियमों का ध्यान नहीं रखेगा, तो हादसा होना तय है। अब इसके लिए कोई सरकार या अधिकारी को जिम्मेदार ठहराए, तो यह निरी बेवकूफी है। अक्सर देखा जाता है कि लोग बाइक या कार चलाते समय मोबाइल फोन पर बात करते रहते हैं। इससे उनका ध्यान बंट जाता है और हादसा हो जाता है।

पिछले साल 3,395 लोगों की जान मोबाइल पर बातचीत करने के दौरान हुए हादसे में चली गई थी। मोबाइल फोन पर बात करने के दौरान हुए हादसों की संख्या पिछले साल 7558 थी जिसमें 6255 लोग घायल हुए थे। हेलमेट नहीं पहनने के कारण तमिलनाडु में सबसे ज्यादा मौतें हुई थीं। इसमें चालकों की संख्या 6344 और सहयात्रियों की मौत की संख्या 1268 थी। सीट बेल्ट नहीं लगाने से होने वाले हादसों के मामले में उत्तर प्रदेश अव्वल रहा। इसके बाद मध्य प्रदेश का नंबर रहा। ये आंकड़े बताते हैं कि लापरवाही के मामले में सड़कों पर चलने वाले ही ज्यादा जिम्मेदार हैं। हां, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि सड़कों की दशा भी सड़क हादसों का कारण हैं।

लेखक: संजय मग्गू

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