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ट्रंप के फैसले के चलते सुनाई देने लगी ट्रेडवॉर की आहट

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संजय मग्गू
अगर पिछली सदी के आठवें दशक से कुछ पहले और उसके कुछ वर्षों की बात करें, तो पूरी दुनिया शीतयुद्ध लड़ रही थी। तब लगता था कि बस, अब तीसरा विश्वयुद्ध छिड़ा, तब छिड़ा। लेकिन उन्हीं दिनों अर्थव्यवस्था के दबाव के चलते 11 मार्च 1985 को रूसी राष्ट्रपति मिखाइल गोर्वाच्योव पेरेस्त्रोइका यानी पुनर्गठन और ग्लास्तनोस्त मतलब खुलापन नीति पेश किया। यह एक तरह से अर्थ व्यवस्था में उदारीकरण का कदम था। लेकिन इसके बावजूद जब रूसी अर्थव्यवस्था नहीं संभली, तो जनवरी 1991 में उन्होंने नोटबंदी की और 50 और 100 रूबल को वापस ले लिया। गोर्वाच्योव के इन दोनों कदमों ने सोवियत संघ को कमजोर और बिखेर दिया। संघ टूट गया और कोल्डवॉर यानी शीत युद्ध की समाप्ति हो गई। लेकिन अब 20 जनवरी के बाद से दुनिया एक नए वॉर की ओर बढ़ती दिखाई दे रही है और वह ट्रेड वॉर।  अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मैक्सिको और कनाडा से आयात होने वाले उत्पादों पर 25 प्रतिशत और चीन से आयात होने वाले वस्तुओं पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। ट्रंप राष्ट्रपति चुने जाने से पहले और उसके बाद भी दो बार ब्रिक्स देशों पर ब्रिक्स करंसी चलाने की कोशिश करने पर सौ फीसदी टैरिफ की धमकी दे चुके हैं। ब्रिक्स देशों में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका सहित कई देश शामिल हैं। मैक्सिको, कनाडा और चीन भी अब जवाबी कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं। कनाडा के कार्यवाहक प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने तो शनिवार को अमेरिका की जनता को ही संबोधित करते हुए कह दिया कि इसका बुरा असर अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। अगर अमेरिका ने टैरिफ वापस नहीं लिया, तो वह भी जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार हैं।  जवाब में कनाडा ने भी अमेरिका पर 25 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा कर दी है। डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ बढ़ाने का नतीजा यह हुआ है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, मैक्सिको की राष्ट्रपति शीनबाम और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक दूसरे के करीब आते हुए दिखाई दे रहे हैं। कल तक जो कनाडा अमेरिका के साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ चल रहा था, अब वह चीन की ओर झुकता दिखाई दे रहा है। टैरिफ लगाने से कनाडा, मैक्सिको और चीन के उत्पाद अमेरिका में महंगे हो जाएंगे। इसका नतीजा यह होगा कि उसकी बिक्री प्रभावित होगी। अब यदि कनाडा, मैक्सिको और चीन ने भी जवाबी कार्रवाई की, तो ठीक यही स्थिति अमेरिकी उत्पादों की इन देशों में होगी। ट्रंप के इस फैसले वैश्विक अर्थव्यवस्था और बाजार के बंटवारे को लेकर ट्रेड वॉर शुरू हो जाएगी। बाजार के बंटवारे को लेकर ध्रुवीकरण तेज होगा और जो देश अभी तक रूस, अमेरिका और चीन के गुट से बाहर हैं, वह भी किसी न किसी गुट में आने को मजबूर होंगे।भारत पर भी टैरिफ बढ़ने का खतरा बना हुआ है। वैसे भी भारत और रूस की बढ़ती निकटता को अमेरिका ने कभी पसंद नहीं किया है। ट्रंप तो भारत को टैरिफ किंग कहते ही हैं।

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