वर्ष 1971 में भारत और अमेरिका के बीच पैदा हुआ अविश्वास क्या अब भी कायम है? भारत और अमेरिका के वैचारिक गलियारे में यह सवाल पिछले एकाध महीने में अमेरिकी रुख को देखते हुए किया जा रहा है। यह अविश्वास अब भी कायम है। अमेरिकी राजनयिक ने पिछले दिनों भारत में लागू किए गए सीएए पर टिप्पणी की थी। जब आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया, तब भी अमेरिका ने इस मामले में टिप्पणी की। यही नहीं, भारत में कांग्रेस ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा अपने खाते को फ्रिज करने के मामले को लेकर प्रेस कांन्फ्रेंस की, तब भी इस मामले में अमेरिका की प्रतिक्रिया खुलकर सामने आई। हाल में ही दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने कश्मीरियों के लिए इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था।
इन घटनाओं को लेकर भारत में कहा जा रहा है कि यह मोदी सरकार का विरोध और विपक्षी दलों का अमेरिका द्वारा किया जा रहा समर्थन है। कुछ लोग इसे गणतंत्र दिवस पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के भारत न आने की घटना से भी जोड़ते हैं। लेकिन ऐसा शायद है नहीं। दरअसल, भारत और अमेरिका के बीच अविश्वास की खाई तभी गहरी हो गई थी, जब हमारा देश आजाद हुआ था और उसने किसी गुट में जाने की जगह निरगुट रहना बेहतर समझा था। अमेरिका चाहता था कि रूस के यूक्रेन पर हमला करने की घटना को लेकर भारत उसकी निंदा करे। लेकिन भारत ने ऐसा नहीं किया। भारत ने निंदा तो तब भी नहीं किया था, जब रूस ने 1956 में हंगरी, 1968 में चेकोस्लोवाकिया और 1979 में अफगानिस्तान पर हमला किया था।
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अमेरिका ने जब हंगरी पर हुए हमले को लेकर हो-हल्ला मचाया था, तब जवाहर लाल नेहरू ने संसद में इसका जवाब देते हुए कहा था कि दुनिया में साल दर साल और दिन ब दिन कई चीजें घटित होती रहती हैं, जिन्हें हम नापसंद करते हैं। लेकिन हमने इनकी निंदा नहीं की है क्योंकि जब कोई समस्या का समाधान खोज रहा होता है तो उसमें निंदा से कोई मदद नहीं मिलती है। मामला तब बिगड़ा था, जब सन 1971 में पश्चिमी पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान पर हमला किया। भारत ने इसमें हस्तक्षेप करके पूर्वी पाकिस्तान को एक स्वतंत्र देश बांग्लादेश बना दिया।
तब भी चीन और अमेरिका भारत के विरोध में थे। अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया था। भारत में अमेरिका विरोधी भावना तब प्रबल थी। भारत और अमेरिका के बीच पैदा हुई अविश्वास की खाई तब से अब तक किसी न किसी रूप में बरकरार है। अमेरिका चाहता है कि भारत उसके कहे के मुताबिक चले, लेकिन भारत ने अपने हितों को सुरक्षित रखते हुए सबसे अपने संबंध बनाए हैं। अमेरिका पाकिस्तान जैसी स्थिति में भारत को भी चाहता है। जो संभव नहीं है।
-संजय मग्गू
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