ब्रिटिश भारत के बंगाल प्रांत में 30 नवंबर 1858 को जन्मे जगदीश चंद्र बोस ने सेन्ट जैवियर महाविद्यालय, कलकत्ता से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। ये फिर लंदन विश्वविद्यालय में चिकित्सा की शिक्षा लेने गए, लेकिन स्वास्थ्य की समस्याओं के चलते इन्हें यह शिक्षा बीच में ही छोड़ कर भारत वापिस आना पड़ा। इन्होंने फिर प्रेसिडेंसी महाविद्यालय में भौतिकी के प्राध्यापक का पद संभाला और बहुत से महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग किये।
इन्होंने बेतार के संकेत भेजने में असाधारण प्रगति की और सबसे पहले रेडियो संदेशों को पकड़ने के लिए अर्धचालकों का प्रयोग करना शुरू किया। जब जगदीश चंद्र बोस कोलकाता के प्रेसिडेंसी कालेज में अध्यापन कर रहे थे, तब उनको अपने समकक्ष अंग्रेज अध्यापकों से कम वेतन दिया जाता था। इसका उन्होंने विरोध किया। उन्हें बचपन से ही शिक्षा दी गई थी कि अन्याय करना और अन्याय सहना दोनों पाप है। यही वजह है कि उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के इस फैसले का विरोध किया। उन्होंने सरकार से मिलने वाला वेतन लेने से इनकार कर दिया।
उन्होंने इसके बावजूद पढ़ाना नहीं छोड़ा। बोस को उन दिनों अपने प्रयोगों के लिए पैसे की सख्त जरूरत थी। इस विषय में उन्होंने अपनी पत्नी से बात की। उनकी पत्नी ने अपने सारे गहने लाकर बोस को सौंप दिए और कहा कि इससे कुछ दिन काम चलाया जा सकता है। इस तरह तीन साल बीत गए। उन पर काफी कर्ज हो गया था। उन्हें अपनी जमीन तक बेचनी पड़ी। आखिर में उनकी जिद के आगे ब्रिटिश सरकार को झुकना पड़ा। उन्हें नियुक्ति की तारीख से अंग्रेज अध्यापकों के समान वेतन दिया गया। जगदीश चंद्र बोस ने अपने जीवन में विज्ञान और रेडियो के क्षेत्र में कई नए सफल प्रयोग किए।
-अशोक मिश्र