ठगों ने अब बाकायदा बेरोजगार युवाओं को ठगी की ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी है। ट्रेनिंग के लिए ठग ने किसी से फीस भी ली या नहीं, अभी इस बात का खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन गुरुग्राम की साइबर क्राइम पुलिस ने योगेश मीणा और उसके तीन साथियों को गिरफ्तार किया जो खुद तो ठगी करते ही थे, आसपास के युवाओं को टेलीग्राम एप के माध्यम से ठगी का प्रशिक्षण भी देते थे।
गुरुग्राम पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए चारों ठगों ने दस-बीस नहीं, चार सौ से ज्यादा लोगों को ठगी की ट्रेनिंग दी है। अब पुलिस इन लोगों से ठगी का प्रशिक्षण लेने वालों का पता लगाने की कोशिश कर रही है। अगर इन लोगों को जल्दी से जल्दी गिरफ्तार नहीं किया गया, तो ये लोग न जाने कितने लोगों से ठगी करके करोड़ों रुपये हजम कर जाएंगे। देश और प्रदेशवासियों को ठगे जाने से बचाने के लिए इन लोगों का गिरफ्तार होना बहुत जरूरी है।
वैसे यह बात सही है कि ठगी कोई नई बात नहीं है। सदियों से देश में ठगी होती रही है। कुछ धूर्त और बेईमान किस्म के लोग सीधे-सादे नागरिकों को अपनी वाक्पटुता के जाल में फंसा कर कभी पीतल को सोना बताकर बेच लेते थे या फिर कोई मनगढ़ंत कहानी सुनाकर विश्वास हासिल करते थे और रुपये-पैसे लेकर फरार हो जाते थे। इस तरह की ठगी का दायरा बहुत सीमित हुआ करता था। पिछली सर्द में चार्ल्स शोभराज नाम के ठग ने तो बहुत नाम कमाया था। लेकिन जब वह पकड़ा गया, तो भरी अदालत में जज और वकील को ठगकर फरार हो गया। बाद में जब पकड़ा गया, तो उसे कठोर सजा दी गई। लेकिन अब वह युग चला गया।
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प्राचीनकाल के ठग थोड़ी बहुत रकम ठगते थे और अपने परिवार का पालन करते थे। आधुनिक ठग यानी साइबर क्रिमिनल्स तो सब कुछ लूट लेते हैं। नए नए हथकंडे अपनाकर साइबर ठग खाते की पूरी रकम ही निकाल लेते हैं। जब तक वास्तविक खातेदार को ठगे जाने का एहसास होता है, तब तक उनकी रकम सुरक्षित खातों में जमा हो चुकी होती है। वैसे अब पुलिस और सरकार भी इस मामले में काफी सतर्क हो गई है। अपने सतर्क होने के साथ-साथ लोगों को भी साइबर क्राइम से बचने के गुर बताने में पुलिस पीछे नहीं है।
इसके बावजूद लोग इन साइबर ठगों के शिकंजे में आ ही जाते हैं। फ्यूचर क्राइम रिसर्च फाउंडेशन की एक स्टडी के अनुसार, छोटे शहरों में साइबर अपराध कुछ ज्यादा ही बढ़ रहे हैं। छोटे शहरों में लोगों को टारगेट बनाना साइबर ठगों के लिए आसान है। हरियाणा की दस लाख आबादी के अनुपात में पिछले साल 303 मामले दर्ज किए गए। ऐसी स्थिति में पुलिस को थोड़ी और सक्रियता बरतनी होगी, ताकि प्रदेश के लोगों को साइबर ठगी से बचाया जा सके और लोगों को भी इस मामले में जागरूक होना होगा।
-संजय मग्गू
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