संजय मग्गू
भाजपा को दिल्ली की सत्ता से बेदखल हुए लगभग सत्ताइस साल हो चुके हैं। सत्ताइस साल कम नहीं होते हैं। सन 1993 में भाजपा को दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने में सफलता मिली थी और तब पांच साल में भाजपा को तीन मुख्यमंत्री बदलने पड़े थे। पहले मदनलाल खुराना, उसके बाद साहिब सिंह वर्मा और अंत में सुषमा स्वराज दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। इसके बाद जनता ने कांग्रेस पर भरोसा किया और शीला दीक्षित ने तीन कार्यकाल तक शासन संभाला। सन 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में 31 सीटें जीतने के बाद भी भाजपा सत्ता से बेदखल रही। इसके बाद तो दिल्ली में भाजपा की िस्थिति बद से बदतर होती चली गई। वर्ष 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में सिर्फ तीन और वर्ष 2020 में सिर्फ आठ सीटों पर ही भाजपा काबिज हो पाई। पिछले तीनों लोकसभा चुनावों में दिल्ली की सभी सीटें जीतने के बाद भी आखिर भाजपा की दाल विधानसभा चुनावों में क्यों नहीं गलती है? इसके बारे में भाजपा को विचार करना चाहिए। दिल्ली में अभी चुनाव की तिथियां घोषित नहीं हुई हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से लेकर छोटे-बड़े नेताओं ने चुनावी रैलियां आयोजित करनी शुरू कर दी हैं। दिल्ली में सफलता न मिलने का कारण यह है कि भाजपा के पास दूसरा कोई मदन लाल खुराना या साहिब सिंह वर्मा नहीं है। सुषमा स्वराज की तरह मीठा बोलकर मतदाताओं को लुभाने वाली नेत्री भी भाजपा के पास नहीं है। इन दिनों तो दिल्ली भाजपा में कोई नेता खुराना, वर्मा या स्वराज बनना भी नहीं चाहता है और बनने की हैसियत भी नहीं है। अगर हैं तो पूर्व सांसद और कालकाजी रमेश बिधूड़ी हैं जो विपक्ष की महिला नेत्रियों पर पिछले कुछ दिनों से लगातार विवादास्पद बयान दे रहे हैं। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के संबंध में दिए गए बयान को लेकर जब राजनीतिक हलके में तूफान उठ खड़ा हुआ, तो यह कहा जाने लगा कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने हेमामालिनी के सम्मान के खिलाफ बात कही थी, पहले उनसे माफी मंगवाएं। कोई भी यह नहीं कह सकता है कि तब लालू प्रसाद यादव ने हेमा मालिनी के गालों की जो तुलना की थी, वह उचित थी। उन दिनों लालू प्रसाद यादव के इस बयान को लेकर खूब ‘थू-थू मैं मैं’ हुई थी। किसी ने लालू के बयान की प्रशंसा की हो, ऐसा मुझे याद नहीं आता है। उन्होंने जो गलती की थी, लालू के अपनी गलती के लिए माफी न मांगनेसे भाजपा नेता बिधूड़ी को वही गलती दोहराने की इजाजत मिल गई, ऐसा भी तो नहीं है। पिछले कुछ दिनों से पीएम मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री शाह द्वारा की गई मेहनत पर बिधूड़ी ने पानी फेर दिया है, ऐसा लगने लगा है। अगर बिधूड़ी समझते हैं कि महिलाओं पर छींटाकशी करके वे दिल्ली में सरकार बना लेंगे, तो शायद यह उनकी भूल है। भाजपा की दिल्ली में सरकार तो कोई खुराना, वर्मा या स्वराज ही बना सकता है।
दिल्ली में भाजपा की सरकार कोई खुराना, वर्मा या स्वराज ही बना सकता है
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