अभी हाल ही में प्रकाशित पीजीआई के स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ की रिपोर्ट जहां चिंताजनक थी, वहीं यह बात और भी चिंताजनक है कि हरियाणा में डॉक्टरों की ही नहीं, मेडिकल स्टाफ की भी भारी कमी है। कहने को तो पिछले दस सालों में नए-नए मेडिकल कालेज, नर्सिंग स्कूल खोलने जैसे प्रयास तो बहुत हुए, लेकिन उनका परिणाम बहुत कम ही देखने को मिला। प्रदेश के अस्पतालों में डॉक्टरों के साथ-साथ मेडिकल स्टॉफ की भारी कमी देखने को मिल रही है। शायद ही कोई सरकारी अस्पताल हो, जहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की संख्या जरूरत के मुताबिक हो। प्रदेश के लगभग हर सरकारी अस्पातल नर्स, फार्मासिस्ट और पैरा मेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं। सरकारी अस्पताल के जितने भी विभाग हैं, सबमें चिकित्सकों की कमी है। अगर पीजीआई रोहतक की ही बात की जाए, तो यहां मरीजों और एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्रों की तुलना में तीन गुना ज्यादा फैकल्टी की जरूरत बताई जा रही है।
यहां पर 412 चिकित्सकों के पद सृजित किए गए हैं, लेकिन अभी तक कुल 236 चिकित्सकों की भर्ती हो पाई है। लगभग आधे पर अभी तक रिक्त हैं। ऐसे में यहां पढ़ने वाले स्टूडेंट्स और अपना इलाज कराने आने वाले मरीजों को कितनी परेशानी का सामना करना पड़ता होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। सबसे ज्यादा कमी तो प्रदेश में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश में केवल 11.86 प्रतिशत डॉक्टर (2119 एमबीबीएस डॉक्टर्स में से 244) ही जिला सिविल अस्पतालों में क्रिटिकल सेवाओ जैसे आईसीयू लेबर, एसएनसीयू में सेवारत हैं। इतने बड़े प्रदेश में कुल 296 विशेषज्ञ डाक्टर हैं।
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यदि प्रदेश की आबादी के आधार पर बात की जाए तो विशेषज्ञ डॉक्टरों की यह संख्या काफी कम है। प्रदेश में डॉक्टर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ की ही नहीं, मेडिकल कालेजों की भी भारी कमी है। आठ साल पहले रेवाड़ी एम्स बनाने की घोषणा हुई थी। यह मामला टलता रहा। कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेवाड़ी एम्स का शिलान्यास किया है। जब घोषणा के आठ साल बाद रेवाड़ी एम्स का शिलान्यास हुआ है, तो इससे बनने में कितना समय लगेगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। कहने को पूरे प्रदेश में नौ मेडिकल कालेज बनाए जा रहे हैं। भिवानी, जींद, फरीदाबाद, नारनौल, कैथल, सिरसा, गुरुग्राम, करनाल और यमुनानगर में मेडिकल कालेज बनने हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर को बनने में अभी समय लगेगा। फरीदाबाद, रेवाड़ी, कैथल, कुरुक्षेत्र और पंचकूला में छह नर्सिंग कालेज खोलने की घोषणा की गई थी। 194 करोड़ की लागत से बनने वाले इन नर्सिंग कालेजों का काम काफी हद तक पूरा हो चुका है।
-संजय मग्गू
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