सत्येंद्रनाथ बोस भारतीय गणितज्ञ और भौतिक शास्त्री थे। उन्होंने प्रसिद्ध जर्मन वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के साथ मिलकर बोस-आइंस्टीन स्टैटिस्टिक्स का प्रतिपादन किया था। बोस भारत के बहुत बड़े गणितज्ञ थे। उनका जन्म कोलकाता में 1 जनवरी 1891 में हुआ था। सत्येंद्र नाथ बोस बचपन से ही प्रखर बुद्धि के थे। बोस ने 1915 में कोलकाता के प्रेसीडेंसी कालेज से ही एमएससी की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी। बाद में यही पर वह प्रोफेसर नियुक्त किए गए थे। जब वह एमएससी कर रहे थे, तब की एक घटना है।
एमएससी प्रथम वर्ष में उनके प्रोफेसर सर आशुतोष मुखर्जी ने गणित के प्रश्नपत्र में एक कठिन सवाल रख दिया। उस प्रश्न को किसी भी छात्र-छात्रा ने हल नहीं किया। इससे वह बहुत नाराज हुए। एक दिन वह अध्यापकों के बीच बैठे हुए थे, तो उन्होंने क्रोध में कहा कि मैंने प्रश्नपत्र में एक कठिन सवाल क्या रख दिया, सबने उसको हल करने की जगह छोड़ दिया। कालेज के अध्यापक क्या पढ़ाते हैं और छात्र क्या पढ़ते हैं, मेरी तो समझ में ही नहीं आता है।
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सर आशुतोष मुखर्जी एक महान गणितज्ञ और भौतिक शास्त्री थे। उनका चारों ओर बहुत नाम था। तभी सत्येंद्र नाथ बोस ने कहा कि सर, जब प्रश्न ही गलत हो, तो हल कैसे किया जाए। यह सुनते ही चारों ओर सन्नाटा पसर गया। सर आशुतोष को चुनौती देना कम दुस्साहस का काम नहीं था। थोड़ी देर बाद सत्येंद्र नाथ बोस ने यह साबित कर दिया कि प्रश्नपत्र में प्रश्न गलत लिखा गया था। इससे आशुतोष मुखर्जी काफी प्रसन्न हुए। उन्होंने बोस की पीठ थपथपाई। बोस ने आगे चलकर दुनिया में भारत का नाम रोशन किया। भारत सरकार ने भी उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया।
-अशोक मिश्र
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