अशोक मिश्र
मोहनदास करमचंद गांधी ने आजीवन सत्य और अहिंसा के नियमों का पालन किया। उनके साथ इंग्लैंड में पढ़ते समय और साउथ अफ्रीका में रहने के दौरान कई बार दुर्व्यवहार हुआ, लेकिन उन्होंने अपने साथ दुर्व्यवहार करने वालों को माफ कर दिया। यदि वह चाहते तो अपने साथ दुर्व्यवहार करने वाले को उपयुक्त सजा भी दिला सकते थे। यही वजह है कि भारत के क्रांतिकारियों और महात्मा गांधी में कभी नहीं तालमेल हो सका। क्रांतिकारी हिंसात्मक कार्रवाई करके अंग्रेजों से देश को आजाद कराना चाहते थे। अंग्रेज भी भारतीयों पर बहुत ज्यादा अत्याचार करते थे। एक बार की बात है। जब महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया में रह रहे थे, उनके साथ एक घटना घटी। दरअसल, महात्मा गांधी की आदत थी कि वह शाम के समय में खुले में थोड़ी देर टहलते थे। जिस रास्ते से वह रोज टहलने के लिए निकलते थे, उसके रास्ते में ही दक्षिण अफ्रीका के प्रधानमंत्री का आवास था। स्वाभाविक है कि आवास के इर्द गिर्द सुरक्षा व्यवस्था काफी कड़ी थी। उन दिनों महात्मा गांधी की दक्षिण अफ्रीका में ख्याति फैल चुकी थी। लोग उनकी सत्य और अहिंसा के सिद्धांत से परिचित हो चुके थे। उन दिनों साउथ अफ्रीका इंग्लैंड का एक उपनिवेश था। गोरों का शासन था। गोरे भारतीय और अफ्रीकी मूल के निवासियों पर काफी अत्याचार करते थे। महात्मा गांधी जब पीएम आवास के सामने से गुजरते तो वहां तैनात संतरी कुछ नहीं बोलता था। लेकिन एक वहां नया संतरी तैनात था। जैसे ही महात्मा गांधी उधर से गुजरने लगे, संतरी ने उन्हें लात मारकर गिरा दिया। गांधी जी उठे और संतरी से पूछने लगे कि उसने उन्हें क्यों मारा? तभी एक अंग्रेज वहां आया और बोला कि आप इसके खिलाफ कार्रवाई करें, मैं गवाही दूंगा। लेकिन गांधी जी ने संतरी को मााफ कर दिया। उनका व्यवहार देखकर संतरी ने माफी मांग ली।
अशोक मिश्र