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देश को नए संसद भवन की सौगात

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रविवार को अत्यंत गौरवशाली, अविस्मरणीय एवं ऐतिहासिक पलों के बीच नया संसद भवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया गया। यह हम सब देशवासियों के लिए अति हर्ष का विषय है कि जो आवश्यकता आज से 32 साल पहले महसूस की गई थी, वह साकार होकर सबके सामने है। 10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस बहु-प्रतीक्षित इमारत की आधारशिला रखी थी, उसे उन्होंने देश को समर्पित कर दिया। इस विशाल भवन में 888 लोकसभा और 384 राज्यसभा सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है। इसकी क्षमता दोनों सदनों के विशेष अधिवेशन के दौरान 1280 सीटों तक बढ़ाई जा सकती है। यह नया संसद भवन 862 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित हुआ है। साढ़े 64 हजार वर्ग मीटर में बने इस चार मंजिला भवन में तीन दरवाजे हैं, जिनके नाम ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार एवं कर्म द्वार रखे गए हैं।

इसे 60 हजार से ज्यादा श्रमजीवियों ने 28 महीने में बनाकर तैयार किया है। नए संसद भवन की आवश्यकता अर्से से महसूस की जा रही थी, क्योंकि मौजूदा संसद भवन में सदस्यों की संख्या के अनुपात में बैठने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। मालूम हो कि 1991-92 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. पीवी नरसिम्हा राव के कार्यकाल के दौरान भी इस विषय पर सरकार के स्तर पर कई बार चर्चा हुई थी। हालांकि, तब यह कहा गया था कि 2026 तक संसद सदस्यों की संख्या बढ़ाने पर फिलहाल रोक है, इसलिए इस मुद्दे को फिर कभी आगे देखा जाएगा। उल्लेखनीय है कि 2026 में राष्ट्रीय स्तर पर परिसीमन होना प्रस्तावित है।

जाहिर है कि ऐसे में लोकसभा एवं राज्यसभा सदस्यों की संख्या में इजाफा होगा। इस लिहाज से नया संसद भवन उपयुक्त साबित होगा। राष्ट्रीय गौरव के इस मौके पर सबसे दु:खद पहलू यह रहा कि कांग्रेस समेत प्रमुख विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया। उनकी ओर से अपने विरोध को लेकर तर्क यह आया कि राष्ट्रपति को समारोह से दरकिनार किया गया, जबकि वह संसद की कस्टोडियन हैं।

शिवसेना सांसद संजय राऊत के मुताबिक, पुराना संसद भवन अभी सौ सालों तक चलने के लायक है, बावजूद इसके केंद्र सरकार ने यह सारी फिजूलखर्ची सिर्फ नरेंद्र मोदी का नाम चमकाने के लिए कर दी। खैर, आज से एक नए युग की शुरुआत हो चुकी है।

संजय मग्गू

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